Homeराजनीतिगुजरात के सभी मुख्य उम्मीदवारों के हलफनामे का पंचनामा

गुजरात के सभी मुख्य उम्मीदवारों के हलफनामे का पंचनामा

हलफनामे में आए कई अजीबोगरीब सच! जानिए शपथ पत्र का विश्लेषण और अनजाने रोचक रहस्य
गतिशील गुजरात में भी 51 में से 18 उम्मीदवारों की आय घटी!
3 उम्मीदवार रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं जबकि 2 ने अभी अभी चालू किया
12 उम्मीदवारों की एचयूएफ आय है, जिनमें 10 बीजेपी और 2 कांग्रेस के हैं।
हलफनामे के लिए गुजरात में उमेदवारो ने किए हे अलग अलग रकम की स्टैम्प के उपयोग!
8 उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड है जबकि सी आर पाटिल के खिलाफ कोई मामला नहीं है!
अधिकांश मामलों में उम्मीदवारों की तुलना में उसके पति या पत्नी की आय में अच्छी वृद्धि!
51 में से 15 उम्मीदवार ग्रेजुएट भी नहीं हैं।

आजकल चुनाव का माहौल है और सभी पार्टियाँ अपने प्रचार में लालची विज्ञापन देकर लोगों को अपनी पार्टी के लिए वोट लेने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन उस वोट को पाने के लिए चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल किया जाने वाला हलफनामा सच्चाई सामने ला देता है। वे सामने से चिल्ला-चिल्लाकर गुजरात की स्थितियों और तथ्यों की घोषणा करते हैं। लेकिन सच तो यह है कि आम आदमी इस तरफ से नजरें चुरा लेता है।या उसे यह पता ही नही है के उसके नेताओं की कागजी हकीकत क्या है?
गुजरात हलफनामे की बात करें तो गुजरात में मुख्य पार्टी बीजेपी कांग्रेस और आप के जरिए कुल 51 उम्मीदवारों के विश्लेषण पर नजर डालें तो सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि जो उम्मीदवार इस बड़े चुनाव को गतिशील गुजरात में लड़ रहे हैं और वो भी सिर्फ बाहर से 51 प्रत्याशियों में से 18 प्रत्याशियों की सभी कागजी आय कम हो गई है जो बहुत ही शर्म की बात है और कभी-कभी हम सुनते हैं कि महंगाई के मुकाबले लोगों की खुशहाली बढ़ी है और आय भी बढ़ी है लेकिन यह बात बिल्कुल गलत साबित हो रही है। इस संबंध में इसी विषय पर आगे बढ़ते हुए, तीन उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने रिटर्न दाखिल नहीं किया है और दो उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने पिछले दो से तीन वर्षों से रिटर्न दाखिल करना शुरू कर दिया है।
आय के मामले में थोड़ा और आगे बढ़ें तो साफ है कि ज्यादातर उम्मीदवारों के मामले में उनके पति या पत्नी की आय में उनकी तुलना में अच्छी बढ़ोतरी हुई है। और कुछ मामलों में तो ऐसा है कि वह खुद विधायक या फिर संसद सदस्य हैं लेकिन उनकी पांच साल की आय में काफी बदलाव देखने को मिला है, वेतन स्थिर होने के बावजूद आय में बदलाव होना थोड़ा अजीब लगता है।
हम सभी जानते ही की एचयूएफ की आय कैसी है, किसके पास है, और आदमी कब एच यू इफ का रिटर्न फाइल करता हे। अगर हम उनके विश्लेषण को देखें, तो 51 उम्मीदवारों में से कुल 12 उम्मीदवारों की आय एचयूएफ से है और बाहर है। इनमें 10 बीजेपी के और दो कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. पूरी दुनिया जानती है और वकील सीए अकाउंटेंट भी अच्छी तरह से जानते हैं कि एचयूएफ आय कब और कैसे दिखाई जाती है, अब अगर हम इस पर गौर करें तो यह भी सवाल उठता है कि इतने सारे सामाजिक कार्यकर्ताओं के पास एचयूएफ आय अर्जित करने का समय कहां होगा? क्या उन लोगों के पास 24 घंटे के बजा 48 घंटे का समय होगा?


इससे परे देखें तो एक खास बात है जो हमारे गुजरात के लोगों के लिए बहुत जरूरी है। और अब भी वे अपना पैसा खर्च कर रहे हैं और फॉर्म भर रहे हैं, जबकि गुजरात में यह आर्टिकल 4 अंतर्गत 50 के स्टैम्प युज करने का कानून है, फिर भी 25 उम्मीदवारों ने 50 रुपये के स्टांप का इस्तेमाल किया है, जबकि 17 उम्मीदवारों ने 300 रुपये के स्टांप का इस्तेमाल किया है, और आठ उम्मीदवारों ने 100 रुपये के स्टांप का इस्तेमाल किया है। एक उम्मीदवार ने 50 के दो चरणों का उपयोग किया। अब उन लोगों के बारे में सोचिए जो गुजरात के कानून बनाने जा रहे हैं, जिन लोगों ने अपने भरोसेमंद वकील के साथ हलफनामा बनाया है, वे खुद नहीं जानते कि गुजरात में हलफनामे के लिए लेख पर कितनी रकम का स्टैम्प होना चाहिए!? और इसने से 50% से अधिक उम्मीदवार संसद में जाएंगे और कानून बनाने का प्रस्ताव रखेंगे, और हमारे लिए सवाल उठाएंगे! जो काम 50 रूपये में हो सकता है वो अपने खर्चे पर 100 और 300 रूपये खर्च कर रहे है तो वह अपने पास आए सरकारी ग्रांट का काम कैसे करेंगे! और साथ ही यह लिखना अप्रासंगिक नहीं होगा कि विद्वान वकील भी अलग-अलग दिशाओं में कानून का अभ्यास कर रहे हैं या उन्हें अभी तक उचित आर्टिकल और उसके स्टैम्प ड्यूटी का पता नहीं है। तो यह हालात गुजरात के अंदर चल रही एजयुकेसन और एडमिनिस्ट्रेशन सिस्टम पर सवाल खड़ा करती है!
आगे बढ़ते हुए, 51 में से आठ उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक रिकॉर्ड हैं लेकिन सीआर पाटिल जैसे व्यक्ति के खिलाफ आज तक एक भी आपराधिक मामला लंबित नहीं है। जब चैतर वसावा जैसे लोगों पर विधायक बनने के बाद भी मुकदमा चलाया जाने लगा और उनके खिलाफ आपराधिक मामले भी चल रहे हैं.
जब शिक्षा की बात आती है, तो 15 उम्मीदवार ऐसे हैं जो पूर्ण स्नातक भी नहीं हैं, जबकि छह उम्मीदवारों ने डिप्लोमा पाठ्यक्रम किया है। इसके अलावा, 17 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने विभिन्न विभागों में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। जबकि नए उम्मीदवारों के पास मास्टर डिग्री है. जबकि चार उम्मीदवारों के पास डॉक्टर की डिग्री है, जिनमें मनसुख मंडाविया और रेखाबेन चौधरी के पास क्रमशः 2021 और 2023 में पीएचडी की डिग्री है और तुषारभाई चौधरी के पास एमबीबीएस और प्रभाबेन नाना हैं जो कांग्रेस से दाहोद सीट से चुनाव लड़ रही हैं, जिनके पास एमडी की डिग्री है। इस तरह से देखें तो सबसे कम शिक्षा प्राप्त कांग्रेस के खेड़ा जिले के कलाभाई डाभी आठ पास हैं।
तो ये थे गुजरात के 51 धुरंधर जो चुनाव लड़ने वाले हैं, हमारे हित में काम करने वाले हैं, हमारे लिए अनुदान मांगने वाले हैं, नियम बनाने वाले हैं और भविष्य में हमारे लिए प्रतिनिधि बनकर काम करने वाले हैं। उनके कुल हलफनामों को आप दी गई तालिका / कोषटक में भी विस्तार से देख और समझ सकते हैं। और आपभी अपने राज्य के कोई भी प्रत्यासी के ऐसे हलफनामे इलेक्शन कमिशन की साइट पर जाके देख शकते है और उनको पीडीएफ फाइल में डाउनलोड भी कर सकते है।

प्रतीक संघवी

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