टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन ने विभिन्न उदाहरणों से समझाई गणित की उपयोगिता, पृथ्वी-सूर्य की दूरी, त्रिज्या का डिफरेंशियल समीकरण से हुआ है हल: डॉ. नागेंद्र, भारत में हुआ शून्य का आविष्कार ही गणित और कम्प्यूटिंग का आधार: प्रो. आरके द्विवेदी, तकनीकी सत्र के दौरान 15 ओरल रिसर्च पेपर भी प्रस्तुत किए गए, कॉन्फ्रेंस प्रोसीडिंग का भी हुआ विमोचन
मुरादाबाद। गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली की प्रोफेसर डॉ. रश्मि भारद्वाज ने प्राचीन गणित के अनुप्रयोग और फ्रैक्टल सिद्धांत पर अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, वेदों के मंत्र गणित पर आधारित हैं। गणित प्रकृति में मौजूद है। हमें इसे देखने और समझने की आवश्यकता है। भारतीय प्राचीन मंदिरों के गर्भगृह गुरुत्वाकर्षण के केंद्र में स्थित हैं। अधिकांश प्राचीन भारतीय मंदिरों को भग्नसिद्धांत के आधार पर डिजाइन किया गया है। सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि पूरे भारत में सभी आठ शिवलिंग इस तरह से स्थित हैं कि उनके भौगोलिक निर्देशांक एक सीधी रेखा पर हैं। यह काम भारतीय गणित विशेषज्ञों ने आधुनिक जीपीएस सिस्टम के बिना किया है, जो प्राचीन विशेषज्ञों की गणना और उत्कृष्टता को दर्शाता है। प्रो. भारद्वाज ने कोविड-19 पर गणितीय मॉडलिंग भी साझा की। उन्होंने मानव, उसके मूल्यों और विज्ञान के विभिन्न आयामों पर अपने विचार साझा किए। प्रो. भारद्वाज तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के गणित विभाग की ओर से एंशिएंट मैथमैटिक्स एंड इट्स इमर्जिंग एरियाज- एएमईए 2024 पर आयोजित नेशनल कांफ्रेंस के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थीं। उल्लेखनीय है, नेशनल कॉन्फ्रेंस में 10 राज्यों-उत्तराखंड, कलकत्ता, पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पुणे और उत्तर प्रदेश के 87 शोधार्थी शामिल रहे। नेशनल कॉन्फ्रेंस कुल 63 शोधपत्र पढ़े गए।
इससे पहले डॉ. भारद्वाज ने बतौर मुख्य अतिथि, टीएमयू के वाइस चांसलर प्रो. वीके जैन, एमएमएच कॉलेज, गाजियाबाद के प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र कुमार ने बतौर मुख्य वक्ता, कांफ्रेंस जनरल चेयर और एफओईसीएस के निदेशक प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी, कांफ्रेंस कंवीनर डॉ. विपिन कुमार, कांफ्रेंस को-कंवीनर एवं गणित विभाग के एचओडी डॉ. अजीत कुमार आदि ने मां संयुक्त रूप से मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके नेशनल कॉन्फ्रेंस का शुभारम्भ किया। एफओईसीएस के निदेशक प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी ने ब्लेंडेड मोड में आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस की थीम प्रस्तुत की। तकनीकी सत्र के दौरान 15 ओरल रिसर्च पेपर भी प्रस्तुत किए गए। डिग्निटरीज़ ने कॉन्फ्रेंस प्रोसीडिंग का विमोचन भी किया। कांफ्रेंस ऑर्गनाइज़िंग सेक्रेटरी डॉ. अभिनव सक्सेना ने सभी का आभार व्यक्त किया। वैलेडिक्टरी सेशन में कांफ्रेंस कंवीनर डॉ. विपिन कुमार ने कांफ्रेंस रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस मौके पर सभी अतिथियों को बुके देकर गर्मजोशी से स्वागत किया गया। अंत में स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। प्रतिभाग करने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी प्रदान किए गए। संचालन गणित की रिसर्च स्कॉलर छवि गुप्ता ने किया।
टीएमयू के वाइस चांसलर प्रो. वीके जैन ने गणित की उपयोगिता पर जोर देते हुए सभी को क्रिकेट के दो खिलाड़ियों के उदाहरण से गणित की उपयोगिता को समझाया। एमएमएच कॉलेज, गाजियाबाद के प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र कुमार ने बतौर मुख्य वक्ता डायनामिक सूर्य और एमएचडी वेव्स पर अपना व्याख्यान दिया। डॉ. नागेंद्र ने सूर्य की गति और संरचना पर प्रकाश डालते हुए कहा, पृथ्वी से सूर्य की दूरी, इसकी त्रिज्या और हाइड्रोजन परमाणु के फ़्यूज़न आदि सभी गणनाओं को डिफरेंशियल समीकरण के माध्यम से हल किया गया है। उन्होंने सूर्य के जरिए उत्पन्न पर्यावरण पर ध्यान केन्द्रित करते हुए कहा, सूर्य में ठोस प्लाज्मा और इसके विभिन्न प्रकार मौजूद हैं। कांफ्रेंस जनरल चेयर प्रो. आरके द्विवेदी ने कहा कि उभरती हुयी प्रोद्योगिकी में मैथ्स मानव कल्याण के लिए अनेक तरीकों से सहायक सिद्व हो रहा है। प्रो. द्विवेदी ने प्राचीन भारतीय गणितज्ञों जैसे आर्यभट्ट, वाराहमिहिर, लीलावती, नागार्जुन और भास्कारचार्य आदि के योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, भारत में हुआ शून्य का आविष्कार ही गणित और कम्प्यूटिंग का आधार है। तकनीकी सत्र में डॉ. आलोक कुमार गहलोत, डॉ. गंधर्व कुमार, डॉ. अजय कुमार उपाध्याय का विशेष सहयोगर हा। इस अवसर पर डॉ. अजीत कुमार, डॉ. कामेश कुमार, डॉ. नरोत्तम सिंह चौहान, अशोक कुमार, विजेन्द्र सिंह रावत, डॉ. अमित कुमार शर्मा, राहुल विश्नोई, मनोज गुप्ता, आरपी सिंह, राजेश कुमार आदि मौजूद रहे।