तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में आईआईसी, आईपीआर और आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में आईपीआर और एसडीजी: नवाचार और रचनात्मकता के साथ स्वर्णिम भविष्य निर्माण पर हुए दो सत्र
मुरादाबाद। हरियाणा के साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के साइंटिस्ट डॉ. राहुल तनेजा अनुसंधान और नवाचार में बौद्धिक संपदा के अधिकार और इसकी भूमिका पर बोले, आईपीआर- इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स कैसे वैज्ञानिक और व्यावसायिक रचनाओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आईपीआर के जरिए नए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उत्पादों के विकास की खातिर उनके संरक्षण की दरकार है। साथ ही उन्होंने सामाजिक और आर्थिक विकास में बौद्धिक संपदा के अधिकार की महत्वपूर्ण भूमिका पर गहनता से विचार व्यक्त किए। डॉ. तनेजा तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में आईआईसी, आईपीआर और आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में आईपीआर और एसडीजी: नवाचार और रचनात्मकता के साथ स्वर्णिम भविष्य निर्माण पर आयोजित वर्कशॉप में बतौर की-नोट स्पीकर बोल रहे थे। इससे पूर्व दो सत्रों में एलटी-2 में हुई इस वर्कशॉप का दीप प्रज्ज्वलन के संग शुभारम्भ हुआ। इस मौके पर साइंटिस्ट डॉ. राहुल तनेजा, लीगल एक्सपर्ट मिस मानसी चौधरी, डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन, डॉ. गीतान्शु डावर, डॉ. सोविक सुर की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। हर सत्र के बाद इंटरेक्टिव प्रश्नोत्तरी भी हुई। संचालन डॉ. गीतान्शु डावर ने किया। अंत में डॉ. सोविक सुर ने सभी का आभार व्यक्त किया।
अपने संक्षिप्त एवम् सारगर्भित संबोधन में डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन ने तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में इक्यूबेशन सेंटर और स्टार्ट अप्स की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा, मौजूदा समय में आईपीआर क्यों महत्वपूर्ण है। आने वाले समय में राष्ट्रों के बीच प्रतिस्पर्धा का आधार अधिक से अधिक ज्ञान के सृजन और आत्मसात पर आधारित होगा। यूनिवर्सिटीज़ में तकनीकी रिसर्च और इन्नोवेशन का बढ़ता स्तर ही किसी भी राष्ट्र की ग्रोथ की नींव है। प्रो. जैन ने गुणवत्तापूर्ण पब्लिकेशन्स, पेटेंट्स के संग-संग फाइलिंग के तौर-तरीके भी बताए। द फ्रंटियर लीगल, दिल्ली की फाउंडर एंड मैनेजिंग पार्टनर मिस मानसी चौधरी ने शिक्षात्मक अनुसंधान में बौद्धिक संपत्ति प्रबंधनः प्रभावी आईपी मूल्यांकन के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि शिक्षात्मक अनुसंधान कैसे आईपी मूल्यांकन के माध्यम से बौद्धिक संपदा प्रबंधन को प्रभावी ढंग से संभव बनाता है। द फ्रंटियर लीगल इस प्रक्रिया में नवाचार के महत्व को बढ़ावा देता है। इस सत्र में स्टुडेंट्स के संग-संग फैकल्टीज़ भी अवेयर हुए। मिस मांसी चौधरी ने शिक्षा के क्षेत्र में बौद्धिक संपदा के प्रबंधन के महत्व को भी समझाया। वर्कशॉप में डीन स्टुडेंट्स वेलफेयर प्रो. एमपी सिंह, एसोसिएट डीन पीएचडी सेल डॉ. ज्योति पुरी, फार्मेसी के प्राचार्य डॉ. अनुराग वर्मा, एसोसिएट डीन आर एंड डी डॉ. पीयूष मित्तल, सीनियर रेडियोलॉजिस्ट प्रो. राजुल रस्तोगी, नर्सिंग की सीनियर फैकल्टी प्रो. रामनिवास, श्रीमती नेहा आनन्द, बसवराज मुधोल आदि मौजूद रहे।