बदायूं। ककराला नगर के प्रतिष्ठित नागरिक और प्रखर लोकतंत्र सेनानी डॉक्टर जमील अहमद का 84 साल की उम्र में दिल्ली में इंतेक़ाल हो गया। वह लंबे अर्से से बीमार थे और उनके इंतेक़ाल से पूरे समाज में ग़म की लहर दौड़ गई। मंगलवार को उनका शव उनके निवास नगर ककराला में लाया गया जहां उन्हें राजकीय सम्मान के साथ सलामी दी गई और नमाज़ ए जनाज़ा के बाद उन्हें उनके पैतृक स्थान पर सुपुर्द ख़ाक कर दिया गया।
इब्राहीम बाग में आयोजित नमाज़ ए जनाज़ा के दौरान, स्थानीय लोगों और अफ़सरों ने डॉ. अहमद को समाज के लिए उनकी ख़िदमात और जद्दोजहद के लिए ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश किया।। जनाज़े की नमाज़ के बाद, एसआई आर.के. धामी ने उनके प्रति एहतेराम का इज़हार किया और गार्ड ऑफ ऑनर देकर सलामी दी, जिससे इस अहम दिन की गंभीरता और भी बढ़ गई। इस मौक़े पर नायब तहसीलदार अमित कुमार, लेखपाल मनोज कुमार सिंह, थाना प्रभारी धनंजय सिंह और ककराला चौकी के स्टाफ भी मौजूद रहा ।
डॉ. जमील अहमद का देश के लिए जो प्रेम था वो अकल्पनीय था। जिसकी वजह ही है कि वो शासन द्वारा लोकतंत्र सेनानी सम्मान से सम्मानित किए गये। जितना उन्हें प्रेम अपने देश के लिए था उतना ही प्रेम वो अपने नगर वासियों से करते थे। वो कुशल चिकित्सक के साथ एक समर्पित समाजसेवी भी थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में अनेकों लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान की और उनके इस निस्वार्थ सेवा भाव ने उन्हें समाज में अत्यंत सम्मानित व्यक्तित्व बना दिया था। उनके द्वारा किए गए सेवा कार्यों ने उन्हें नगर के हर व्यक्ति के दिल में एक विशेष स्थान दिलाया था।
उनके निधन से नगर ने एक महान सच्चे समाजसेवी और लोगों ने अपने हर दिल अज़ीज़ शख्शियत को खो दिया है। डॉ. अहमद का जीवन लोकतंत्र के प्रति निष्ठा और समाज सेवा के प्रति समर्पण का प्रतीक था। उनके योगदान और सेवाओं को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उनकी याद में आयोजित इस अंतिम संस्कार समारोह ने उनके जीवन और कार्यों को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया। डॉ. अहमद के साथ गुज़ारे गए लम्हे और उनकी यादें हमेशा लोगों के दिलों में ज़िंदा रहेंगी। उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए, समाज उनके योगदान को सदा याद रखेगा और उनके आदर्शों का अनुसरण करेगा।