लखनऊ। केन्द्र सरकार येन-केन प्रकारेण संविधान,आरक्षण और संघ लोक सेव आयोग को निष्प्रभावी करने में जुटी हुई है। केंद्र सरकार लेटरल इंट्री के द्वारा 10 संयुक्त सचिव व 35 निदेशक/उपसचिव पद पर चयन के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया था,लेकिन विपक्ष के प्रबल विरोध के कारण सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा है,यह विपक्ष की बड़ी जीत है। लेटरल इंट्री द्वारा संयुक्त सचिव, निदेशक/उपसचिव पदों पर नियुक्ति के प्रस्ताव को वापस लेने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ.लौटनराम निषाद ने कहा है कि अब सरकार की मनमानी व असंवैधानिक कार्यों को इंडिया गठबंधन चलने नहीं देगा।
प्रतिपक्ष के विरोध के कारण सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा है,यह केंद्र सरकार की हार है। लेटरल इंट्री या बैकडोर भर्ती संविधान व आरक्षण विरोधी कदम है।केन्द्र सरकार में सचिव, संयुक्त सचिव, निदेशक/उपसचिव का पद काफी महत्वपूर्ण होता है,जो देश की नीतियाँ बनाने का काम करते हैं।इन महत्वपूर्ण पदों पर बिना किसी प्रतियोगी परीक्षा के आरएसएस टीम को पदस्थापित करना संविधान व संघ लोक सेवा आयोग की प्रतिष्ठा के विरूद्ध है।उन्होंने कहा कि यूपीएससी देश की सभसे प्रतिष्ठित संस्था है,उसके माध्यम से संचालित त्रिस्तरीय प्रतियोगी परीक्षा (प्री टेस्ट, मेन एग्जाम व इंटरव्यू) के द्वारा आईएएस, आईपीएस, आईआरएस, आईएफओएस आदि के कैडर पर चयनित होकर 15-16 वर्ष की सेवा के बाद वरिष्ठ अधिकारियों को इस पद पर नियुक्त किया जाता है।
निषाद ने बतीया कि वर्ष-2018 में बिना किसी प्रतियोगी परीक्षा के सीधे तौर पर निजी क्षेत्र से लोगों को केन्द्र सरकार में संयुक्त सचिव नियुक्त कर दिया गया था। मोदी के दूसरे कार्यकाल में वर्ष-2021 में भी लेटरल इंट्री/बैकडोर (पार्श्व या चोर दरवाजा से भर्ती) द्वारा 31 अघिकारियों की भर्ती की गयी,जिसमें 3 संयुक्त सचिव, 9 उपसचिव व 19 निदेशक का पद शामिल था। उन्होंने कहा कि प्रतिपक्ष के नेता राहुल गाँधी द्वारा मजबूती से संसद के अंदर व बाहर घेरने व सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव द्वारा 2 अक्टूबर को लेटरल इंट्री के विरूद्ध आन्दोलन की घोषणा से सरकार को बैकफुट पर आने को मजबूर होना पङा है,यह इंडिया गठबंधन की संवैधानिक जीत है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को चलाने व देश की नीतियाँ बनाने का काम 89 सचिव,93 संयुक्त सचिव व 225 उपसचिव/निदेशक ही करते हैं।