हर व्यक्ति को यह प्रण लेना चाहिए कि,हर काम देशहित में ध्यान रखकर करे क्योंकि सबसे पहले हमारे लिए हमारी मातृभूमि है उसकी सुरक्षा है उसके बाद ही कोई अन्य बातें हैं।देश हित में हर बात को न्याय के तराजू में तोलकर ही, कुछ करना चाहिए एवं देशहित में ही हर बात बोलना चाहिए।एक देशवासी होने के नाते यह हर एक व्यक्ति का कर्तव्य है कि, राष्ट्रवादी बने और देशहित में अपना योगदान दें।
आजादी के वो दिन काफी अलग थे और आज का माहौल कुछ अलग है। आजादी मिलने के बाद हमने या हमारे पुरखों ने जो भी सपने सजाए थे उससे आज परिणाम हर जगह अलग अलग मिल रहे है। स्थिति “अंधेरी नगरी और चौपट राजा”
जैसा हो गया है??क्योंकि आज सही से हमारे देश का बजट देखो तो हमारे देश की जितनी आय हो रही है वो डायरेक्ट और इनडायरेक्ट रूप से है उसमे से 20% तो हमे ब्याज देना होगा?
जिस रकम का कर्ज हमारे देश पर चढ़ा हुआ है। और आप सब जानते है सबने कभी न कभी अपने बुजुर्गो से सुना होगा की बेटा सब कुछ करना पर अपने सिर पर कभी कर्ज मत चढ़ ने देना, मगर हमारे देश पर प्रत्येक वर्ष कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है यदि हम 20% ब्याज ही देंगे तो मूल कैसे चुकायेंगे क्योंकि,और भी तो बहुत सारे मद में खर्च करने होते है। हमारे देश में नेताओं के सोच की उल्टी गंगा बह रही है इतना कर्ज होंने के बाद भी हमारे नेता सीना चौड़ा करके खड़े रहते हैं और आजादी के दिन पर देश के विकास की भाषण झाड़ते है तरक्की की बातें करते हैं जबकि हकीकत कुछ और है।
2023 में हंगर इंडेक्स में भी भारत 111 वे स्थान पर है जो बहुत ही शर्म जनक बात है। यह रिपोर्ट जूठी है यह हमारी सरकार ने बयान जारी कर दिया है। चलो वो मान लेते है कि,यह रिपोर्ट झुठी है फिर भी सरकारी आंकड़े के अनुसार 80 करोड़ लोग सरकारी राशन लेते है । नेशनल फूड सिक्योरिटी ऐक्ट की बात करे तो यह साफ जाहिर होता है। की इनमें से ज्यादातर लोग या तो गरीबी रेखा के आसपास या उसके नीचे है। और बहुत सारे लोगो की आय अनिश्चित है कि, जिन्हें राशन का मोहताज होना पड़ता हैं,इतनी बड़ी आबादी गरीबी रेखा से नीचे है और सरकार विकास की बातें करते नहीं थकती।
सबसे ऊपर और सबसे बड़ा दिल देहला देनेवाला सच यह हे की भारत भ्रष्टाचार के मामले में अपना लोहा मनवा रहा हे। और इतना आगे जा रहा है । की अब तो हर शहर के पुल,संसद भवन और कुछ नेताओं का जमीर भी गवाही देने लगा है। फोर्ब्स की यादि में 180 देश में भारत अब 93 स्थान पर पहुंच गया हे। और इसके ऊपर कोईभी नेता की चू या चा सुनने को नहीं मिलती।और मिलेगी भी कैसे सब मिल बाट के जो जोली भर रहे है।
हमारे देश का बजट देखने से पता चलता है कि,जो लोग ईमानदारी से खा रहा है उनपर ज्यादा टैक्स डाले जा रहे हैं?और जो टैक्स की चोरी कर रहा है उसे चोरी करने के रास्ते दिखाए जा रहे हैं। मिसाल के दौर पे कोई कंपनी घाटे में जाए और राजनीतिक संबंध हो तो उसका कर्ज माफ हो जाता है, यहां तक की कभी कभार सरकारी ऋण यानी की बिजली बिल या प्रॉपर्टी टैक्स भी माफ हो जाती है और वह भी करोड़ों की रकम का। लेकिन वही सैलरी लेते हुए लोग अगर 8 लाख से ज्यादा आय ले तो टैक्स कट जाता है ऐसे ही 5 या 6 साल की नौकरी के बाद अपने बचे हुवे पैसे शेयर मार्केट में लगाए और प्रॉफिट करे तो वहा भी उसको इस प्रॉफिट में 20% और लॉन्ग टर्म है तो अब 12.5% टैक्स देना होता है ,
यानी कि, सरकार के दिमाग में भी यह घुसा है कि, मिडिल क्लास के लोग सीमित जीवन जीये और से आगे नहीं आने पाए।
आगे बढ़कर कमाने का या कोई बात रखने का अधिकार नहीं है बस टैक्स भरते जाओ।और चलते बनो एसी ओछी सोच से मुझे ऐसे नेता पर घृणा होती है।कई नेता दिमाग में ले के बैठे है की आजादी लीज पर है। अलग अलग प्रकार का इन्वेस्टमेंट अलग लोग ही करेंगे। शेर मार्केट में भी कोई मध्यम वर्ग फ्यूचर ऑप्शन नहीं खेलेगा या उसके लिए नहीं है। यह मेरे टैक्स पेयर होने के नाते मेरे लिए बहुत घृणास्पद बाते हे। और में यह चाहता हु के मेरे द्वारा लिखा यह लेख जो लोग पढ़े देश की स्थिति पर अवश्य विचार करें और सूधार लाने का प्रयास करें क्योंकि देश सबका है। और इसीलिए हम ये कहना चाहते है की देश हित में सच को सच बोलना सिखलो भले ही आप कोई भी पक्ष या किसी व्यक्ति विशेष के अनुयायी हो और उसे मत देते हो। लेकिन एकबार मताधिकार का उपयोग करने के बाद आप अपने देश के अधिकार के बारे में सोचे और जवाबदार और जागृत नागरिक बने। वरना असत्य को साथ देने का भुगतान कही न कही जगह हमे या हमारी पीढ़ी को करना पड़ता है। यह सब धर्म और कर्म की किताबो में साफ लिखा है।
प्रतिक संघवी
राजकोट, गुजरात