Homeधर्मसोलह कलाएं बना रही हैं शरद पूर्णिमा को अद्भुत

सोलह कलाएं बना रही हैं शरद पूर्णिमा को अद्भुत

हिंदू धर्म में हर साल आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा की रात को बहुत खास माना जाता है। इस रात में भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस रात चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा पर पूजा करने से घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है और चांदनी रात में खीर खाने से स्वास्थ्य लाभ होता है। इस दिन मंदिर के दर्शन करने से आपका मन शांत होगा। शरद पूर्णिमा आध्यात्मिक विकास के लिए एक अच्छा अवसर है।
शरद पूर्णिमा 2024 तिथि
पूर्णिमा तिथि का आरंभ
16 अक्टूबर, रात्रि 8:42 पर
पूर्णिमा तिथि समाप्त
17 अक्टूबर, सायं 4:54 पर
चंद्रोदय सायं 4:59
शरद पूर्णिमा(व्रत) का पर्व 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर खाने का विशेष महत्व है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर का भोग लगाने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में खीर में चंद्रमा अपनी इन 16 कलाओं की बर्षा करता है जो इस प्रकार हैं. अमृत, मनदा (विचार), पुष्प (सौंदर्य), पुष्टि (स्वस्थता), तुष्टि( इच्छापूर्ति), ध्रुति (विद्या), शाशनी (तेज), चंद्रिका (शांति), कांति (कीर्ति), ज्योत्सना (प्रकाश), श्री (धन), प्रीति (प्रेम), अंगदा (स्थायित्व), पूर्ण (पूर्णता अर्थात कर्मशीलता) और पूर्णामृत (सुख) प्रभाव से खीर में अमृत रस घुल जाता है।
खीर को कांच, मिट्टी या चांदी के बर्तन में ही रखें। अन्य धातुओं का प्रयोग न करें।

आचार्य राजेश कुमार शर्मा

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments