Homeमुरादाबादश्रृंगार, देशभक्ति और हास्य की टीएमयू में बही बयार

श्रृंगार, देशभक्ति और हास्य की टीएमयू में बही बयार

मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद का भव्य पंडाल श्रृंगार, राष्ट्रभक्ति और हास्य का साक्षी बना। स्टुडेंट्स से खचा-खच भरे इस पंडाल में देश के युग कवि डॉ. कुमार विश्वास के संग-संग दीगर कवियों और शायरों ने देर रात अपने कलाम से युवाओं का दिल जीत लिया। इन सशक्त हस्ताक्षरों ने हास्य से गुदगुदाया तो कभी सियासी तंज कसा। प्रेम गीतों के जरिए युवाओं के दिल के तारों को छेड़ा तो कभी राष्ट्रभक्ति की अलख जगाई। युग कवि डॉ. कुमार विश्वास ने मंचासीन होते ही मुरादाबाद की सरजमीं को नमन करते हुए जिगर मुरादाबादी, हुल्लड़ मुरादाबादी, माहेश्वर तिवारी का भावपूर्ण स्मरण किया। इससे पूर्व दीक्षांत समारोह के क्रम में आखिरी दिन आयोजित कवि सम्मेलन का मंडलायुक्त श्री आन्जनेय कुमार सिंह, कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, युग कवि डॉ. कुमार विश्वास के संग-संग हास्य कवि श्री अनिल अग्रवंशी, शायरा श्रीमती मुमताज़ नसीम, युवा कवियत्री सुश्री साक्षी तिवारी, हास्य कवि श्री कुशल कुशलेंद्र आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके शंखनाद किया। इस मौके पर कुलाधिपति ने सभी कवियों का माल्यार्पण करके शाल ओढ़ाई एवम् स्मृति चिन्ह भेंट किए। कवि सम्मेलन में फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन, श्रीमती जाह्नवी जैन, सुश्री नंदिनी जैन आदि की भी उल्लेखनीय मौजूदगी रही। इनके अलावा एमएलसी डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त के संग-संग आला प्रशासनिक अधिकारी, निर्यातक,शहर के गणमान्य व्यक्तियों आदि भी उपस्थित रहे। संचालन की जिम्मेदारी का निर्वाहन डॉ. कुमार विश्वास ने किया।
युगकवि डॉ. कुमार विश्वास ने अपने नए और पुराने गीतों से समां बांधा।
मैं अपने गीत-गजलों से उसे पैगाम करता हूं,
उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूं।
हवा का काम है चलना, दिए का काम है जलना,
वो अपना काम करती है, मैं अपना काम करता हूं…
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बैचेनी को बस बादल समझता है।
मैं तुझसे दूर कैसा हूं, तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है।
किसी के दिल की मायूसी जहां से होकर गुजरी है,
हमारी सारी चालाकी वहीं पर खोकर गुजरी है।
जवानी में कई गजलें अधूरी छूट जाती हैं,
कई ख्वाहिश तो दिल ही दिल में पूरी छूट जाती है।


मुहब्बत की शायरा के नाम से मशहूर मुमताज़ नसीम का वास्तविक नाम मुमताज़ फ़ातिमा है। उर्दू मुशायरों से लेकर हिंदी कवि सम्मेलनों तक समान रुप से लोकप्रिय मुमताज़ नसीम ने गीत-गज़लों के जरिए अपनी अगल पहचान है। शालीनता की सीमा में रहते हुए श्रृंगार की कविताएं पढ़ने में मुमताज़ को महारत हासिल है। नसीम की शायरी में न तो बहुत क्लिष्ट हिंदी है, न ही बहुत पेचीदा उर्दू। जन सामान्य को समझ आने वाली जुबां के दम पर ही वह जन-जन के मन तक पहुंचने में कामयाब हैं। मुमताज नसीम ने मुहब्बत की शायरी सुनाईं तो युवाओं के दिलों की धड़कने जवां हो गई।
आज इकरार कर लिया हमने
खुद को बीमार कर लिया हमने।
अब तो लगता है जान जाएगी,
तुमसे प्यार कर लिया हमने…
चाहत में दिल का गुलशन हर पल महकाना पड़ता है,
खून से लिखकर खत का मजमून सजाना पड़ता है।
मैं तो हूं मुमताज, तुम्हें इतना बतलाए देती हूं,
शाहजहां बनने वालों को ताज बनाना पड़ता है…
जैसी प्रेम कविताओं से सभी का दिल जीत लिया। वह टीवी चैनल्स के संग-संग करीब आधा दर्जन देशों में अपनी शायरी का परचम लहरा चुकी हैं। इस बात की पुष्टि युगकवि डॉ. विश्वास ने करते हुए कहा, नसीम को मैं 20 वर्षों देश-विदेश के मंचों से सुन रहा हूं। पाक शायरा के तीन शेर नसीम समर्पित करते हुए मंच पर आने की दावत दी।
हरियाणा के हास्य कवि अनिल अग्रवंशी ने अपनी रचनाओं में पीएम से लेकर सीएम, केजरीवाल से लेकर विपक्षी नेताओं- राहुल गांधी और अखिलेश यादव पर खूब व्यंग्यात्मक तीर चलाए। बोले-
सत्ता को संभालते ही मोदी ने एलान किया,
खुद नहीं खाऊंगा और खाने नहीं दूंगा मैं।
योगी बोले नारी से क्या काम तुझे,
मैंने न पटाई तो तुम्हें पटाने नहीं दूंगा मैं।
उन्होंने अपने अनूठे अंदाज में न केवल अपने कवि साथियों, बल्कि स्टुडेंट्स को भी हंसा-हंसाकर लोट-पोट कर दिया। इतना ही नहीं, अनिल अग्रवंशी के कटाक्ष से डॉ. विश्वास भी नहीं बच पाए।
लखनऊ से आई कवियत्री साक्षी तिवारी मंच का युवा चेहरा होने के बावजूद उन्होंने वंदे मातरम् कहो जी… वंदे मातरम् सुनाकर पूरे पंडाल में राष्ट्रभक्ति की अलख जगा दी। जैसे ही साक्षी वंदे मातरम् कहो जी बोलतीं, पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट के बीच अपने स्वर भी साक्षी के स्वर में शामिल कर लेता।
युवाओं को माटी से प्यार बताते हुए बोलीं,
हम कैसे उन्हें भूल जाएं जो माटी देकर चले गए
इस पर लुटाने को समस्त परिपाटी देकर चले गए।
नहीं हंसने हंसाने की लिखूं न प्यार की बातें
है भारत-भारती संकट में क्यों लिखूं श्रृंगार की बातें।
हास्य कवि कुशल कुशलेंद्र ने अपनी रचनाओं से पंडाल में मौजूद हजारों छात्र-छात्राओं को देर रात तक खूब गुदगुदाया। राजनीति पर कटाक्ष करते हुए बोले,
एक रोज बुलंदी को छूने के लायक बनेगी वो,
गा-गा कर मेरी शायरी, गायक बनेगी वो।
मेरी प्रेमिका है झूठ बोलने में खिलाड़ी,
लगता है बड़ी होकर विधायक बनेगी वो।
उन्होंने योगी सरकार की कानूनी बंदिशों के बीच युवाओं के प्रेम दर्द को कुछ इस अंदाज में कहा,
हमको समझ कर रोमियो वो अंदर ना कर दें,
अच्छे भले लोगों को यह मुर्गा बना दें।
यूपी के कुंवारे सभी यह सोच रहे हैं,
बाबाजी कहीं अपनी तरह बाबा ना बना दें।
कवि सम्मेलन में वीसी प्रो. वीके जैन, श्री अभिषेक कपूर, प्रो. एमपी सिंह, प्रो. आरके द्विवेदी, श्री मनोज जैन, श्रीमती नीलिमा जैन, प्रो. विपिन जैन, श्री अजय गर्ग, श्री विपिन जैन, प्रो. एसके सिंह, प्रो. एसके जैन, प्रो. सीमा अवस्थी, श्री नवनीत कुमार, प्रो. एसपी सुभाषिनी, प्रो. मनु मिश्रा, प्रो. जसीलन एम., डॉ. शिवानी एम. कौल, प्रो. निखिल रस्तोगी, डॉ. मनोज राणा, डॉ. प्रदीप अग्रवाल आदि की अपने परिजनों की भी गरिमामयी मौजूदगी रही।

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