बदायूं। होली जुलूस समिति पुराना सराफा बाजार एवं उत्तर प्रदेश हिंदी साहित्य सेवा समिति के संयुक्त तत्वाधान में होली मिलन समारोह एवं विराट कवि सम्मेलन होली के रंग – कवियों के संग का आयोजन क्षत्रिय स्वर्णकार धर्मशाला में किया गया जिसमें सराफा बाजार के समस्त स्वर्णकार बंधुओ ने एक दूसरे को गले मिलकर होली की शुभकामनाएं दी सायं 7 बजे से विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता श्री अमित कुमार वर्मा जी ने की मुख्य अतिथि के रूप में श्री महेंद्र वर्मा जी एवं अजय पाल वर्मा रहे एवं विशिष्ट अतिथि अवनेश वर्मा एवं रामदास वर्मा जी रहे जिन्होंने आमंत्रित साहित्यकारों को माल्यार्पण कर और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया ।
कवि सम्मेलन की शुरुआत बदायूं जनपद की श्रेष्ठ कवियत्री सरिता चौहान जी की सरस्वती वंदना के साथ हुई कार्यक्रम में पधारे वरिष्ठ कवि डॉ अरविंद धवल ने पड़ा-
होली ,रंग, मिठाई इनकी चर्चा जहाँ न पाओ।
कुछ गुझियाँ कुछ रँग लेकर उन झोपड़ियों में जाओ।
प्राण-तत्व है प्रेम हमारे जीवन की पद्यति का,
प्रेम बढाओ ,प्रेम लुटाओ ,प्रेम से रंग लगाओ।
श्रेष्ठ गीतकार कवि अभिषेक अनंत ने पढ़ा-
जान को व्यक्तित्व है, श्री राम की आराधना।
आपदा की संपदा को धैर्य से है धारना।
बिल्सी से पधारे कवि विष्णु असावा ने पढ़ा-
सिंगार करे बैठी गुझिया पर मन मतवाला है।
तुम भी उस पर डालो गुलाल जिसने रंग डाला है।।
संभल से पधारे श्रेष्ठ व्यंग्यकार श्री अतुल शर्मा जी ने पढ़ा-
सीखो जीना जिंदगी को कुछ अच्छे जज्बातों में, वरना मंदिर सा घर भी कोई शमशान हो जाता है।
बदायूं के वरिष्ठ कवि श्री कुमार आशीष जी ने पढ़ा-
हाल दिल का किसे सुनाऊं मैं?
कैसे होली ये अब मनाऊं मैं?
कब से हाथों में रंग है मेरे,
तेरा चेहरा कहां से लाऊं मैं?

कवियत्री सरिता चौहान जी ने पढ़ा-
सबरी की कुटिया में चलकर आयेंगे
जीवन पथ संचलन स्वयं सिखलाएंगे
जो पर पीड़ा देख द्रवित हो जाता हो
उस अन्तस में राम तुम्हें दिख जायेंगे।
बिल्सी से पधारे कवियों ओजस्वी जौहरी सरल ने पढ़ा-
स्वप्न फिर इक बार बुने हैं हमने पावन होली में
यत्न कई हर बार किये हैं हमने पावन होली में।
प्रीत मेरी स्वीकृत कर लेना अब की ह्रदय रंग लेना
प्रेम के रंग इस बार चुने हैं हमने पावन होली में।
युवा कवि उज्जवल वशिष्ठ ने पढ़ा-
हर तरफ है गुलाल की खुशबू
है फिज़ा खुशगवार होली में।।
कभी ललतेश कुमार ललित ने पढ़ा-
प्रेम रंगों का त्योहार होली है,
नई उमंगो का त्योहार होली है,
आओ मिलकर मनालें होली को,
नयी तरंगों का त्योहार होली है।
युवा कवि विवेक यादव अज्ञानी ने पढ़ा-
मिलेंगे अब चलो फिर से पुराने यार होली में
बहेगी प्रेम की फिर से वही रसधार होली में
रहे जो अब तलक पाले समन्दर नफरतों का हम
मिटेंगे अब कहीं जाकर दिलों के खार होली में।।

कभी अचिन मासूम ने पढ़ा-
मिले उल्लास का और हर्ष का आधार होली में
ना कोई भी रहे गम से कभी दो-चार होली में
ज़मीं से आसमां तक सप्तरंगी हो रही दुनिया
रंगो से कर रही धरती नवल श्रृंगार होली में।।
कार्यक्रम का सफल संचालन युवा साहित्यकार उज्ज्वल वशिष्ठ जी ने किया कार्यक्रम देर रात तक चला दूर दराज से पधारे आमंत्रित सभी साहित्यकारों ने देर रात तक एक से एक श्रेष्ठ रचनाएं पढ़ कर श्रोताओं को आनंदित किया कार्यक्रम में आदित्य वर्मा सुमित वर्मा अंकित वर्मा कृष्ण मुरारी लाल वर्मा मनोज गुप्ता जितेंदर महाजन विजय गुप्ता शरद रस्तोगी संजय राणा इशांक वर्मा तुषार वर्मा हर्षदीप वर्मा राहुल वर्मा निखिल वर्मा सौरभ वर्मा अनिल वर्मा सिकंदर मराठा आदि उपस्थित रहे कार्यक्रम के संयोजक नितिन वर्मा एवं सहसंयोजक मनोज वर्मा जी ने अंत में सभी का आभार व्यक्त किया।