तनिष्क लूटकांड पूर्णियां बिहार
कल यानी 26 जुलाई को बिहार के पूर्णिया शहर से एक खबर राष्ट्रीय समाचार के कई चैनलों से प्रसारित की जा रही थी कि दिन दहाड़े ज्वैलरी के बहुत बड़े शोरूम तनिष्क में छः लोगों ने दिनदहाड़े डकैती को अंजाम दिया है।
पूर्णिया के खजांची थाना क्षेत्र के डाकबंगला चौक स्थित तनिष्क शोरूम में शुक्रवार को ज्वैलरी की दुकान में लूट की घटना घटित हुई। वारदात को अंजाम देने के लिए अपराधी करीब एक सप्ताह से शोरूम की रेकी कर रहे थे।
बताया गया कि तनिष्क में फेस्टिवल ऑफ डायमंड के तहत एग्जीबिशन लगी थी। 10 दिन से ग्राहकों की भीड़ ज्यादा थी। इसी भीड़ का फायदा उठाकर लुटेरों ने घटना को अंजाम दिया। ये वारदात 2004 के बाद की सबसे बड़ी लूट की घटना बताई जा रही है। इससे पहले पूर्णिया में बैंक की सबसे बड़ी डकैती वर्ष 2004 में हुई थी। हथियारबंद लुटेरों ने शहर के भट्ठा बाजार रोड स्थित बैंक आफ इंडिया की शाखा से दिनदहाड़े 70 लाख रुपए लूट लिए थे। इससे पूर्व गुरुद्वारा रोड स्थित पंजाब नेशनल बैंक से 40 लाख रुपए की लूट हुई थी।
गौरतलब हो कि 2004 से पहले पूर्णिया में वर्तमान सांसद पप्पू यादव का दबदबा था एवं पूर्णिया में लूटपाट, डकैती, चोरी-चकारी आम बात थी। लोग डरे सहमे रहते हैं। शाम के सात बजते-बजते बाज़ार बंद हो जाया करते थे और हर परिवार डरा सहमा रहता था कि न जाने कब किसके घर में डकैती पड़ जाए?
लोकसभा चुनाव 2024 में जब पुनः पप्पू यादव पूर्णिया के सांसद बने तो पूर्णिया का हर वो शिक्षित और आत्मनिर्भर और व्यवसायी वर्ग डरा जिसने पप्पू यादव का जमाना देखा था। सभी लोग दबी जुबान में चर्चा कर रहे हैं कि पूर्णियां में फिर से जंगल राज शुरू हो जाएगा और वैसा ही होना शुरू भी हो गया। सांसद के जीत के एक महीने बाद ही पूर्णिया के एक बड़े फर्नीचर व्यापारी ने उन पर रंगदारी मांगने का आरोप लगाया। आरोप है कि तीन साल पहले 02 अप्रैल 2021 को सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के द्वारा 10 लाख रूपया रंगदारी टैक्स की मांगी की गई थी। वर्ष 2023 के दुर्गा पूजा के दौरान मोबाईल एवं व्हाट्सएप्प कॉल पर 15 लाख रूपया और दो सोफा सेट मांगने के साथ-साथ व्यापारी के साथ धमकी व गाली गलौज भी किया गया था।
लाइन बाजार स्थित डाक्टरों के डर को भी पूर्णियावासी अच्छी तरह से समझ रहे हैं क्योंकि पप्पू यादव ने डाक्टरों की काउंसिलिंग शुरू कर दी है। जो पूर्णिया के लिए निहायत ही चिंता का विषय है क्योंकि यदि चोर को चौकीदार बना दिया जाए तो वारदात तो होगी ही।
17 साल तक हत्या की सजा काट चुके अपराधी, रंगदारी वसूलने वाले बाहुबली, तमाम छोटे-बड़े अपराध को अंजाम देने वाले व्यक्ति को आखिर लोग क्यों वोट देते है? चाहे ऐसे व्यक्ति पर कितने ही आपराधिक मामले दर्ज होते हैं, फिर भी वे कानून की पकड़ से दूर ही रहते हैं? सियार जब खुद को रंग लेता है तो लोग उसे पहचानने की ग़लती कर बैठते हैं यही गलती पूर्णियावासी कर चुके हैं और अंजाम पांच साल तक भुगतना होगा?
चंद्रकांत पुजारी
गुजरात