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राजस्व को चूना लगा रहा माफ़िया और अधिकारियों का गठजोड़

SGST विभाग में स्थानांतरण का बड़ा खेल

लखनऊ। राज्य कर विभाग (एसजीएस्टी) राजस्व प्राप्ति का एक अहम विभाग है जिससे राज्य सरकार को अरबों रुपए की आय होती है। लेकिन करदाता माफिया सिंडीकेट का नेटवर्क सरकार को प्रतिमाह करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना बड़ी सफाई से लगा रहा है। स्थानांतरण का ये खेल विगत कुछ सत्रों से सिंडिकेट द्वारा अपने मन पसन्द के अधिकारियों की तैनाती करा कर किया जा रहा है। जिससे ये प्रतीत होता है कि विभाग के कुछ आलाधिकारी भी कहीं न कहीं इस सिंडीकेट में शामिल हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सिंडीकेट माफियाओं द्वारा विभागीय स्थानांतरण नीति को अपने स्वार्थों के अनुरूप परिवर्तित करवाया गया है। जिससे इनका कर चोरी काला कारोबार धड़ल्ले से चलता रहे। आपको बता दें, सामान्यतः उत्तर प्रदेश शासन द्वारा वर्ष में स्थानांतरण नीति जारी की जाती है। राज्य कर विभाग द्वारा उसके सापेक्ष अपने विभाग की स्थानांतरण नीति अलग से जारी की जाती है। इस बार की स्थानांतरण नीति में विगत वर्षों की तरह स्थानांतरण सत्र को ध्यान में ना रखकर 31 मार्च 24 को कटऑफ डेट रख दी गई। जिसका परिणाम ये है कि SIB एवं मोबाइल में तैनात अधिकारी जो पिछले स्थानांतरण नीति के अनुरूप स्थानांतरित हो जाने चाहिए थे, वह अपनी सेवा सीमा से अधिक एक -एक वर्ष और इन्हीं पदों पर काम करेंगे। इसके लिये इस नीति को बनाने वालों को भारी मात्रा में अनुचित लाभ भी पहुँचाया गया है।
दरअसल लंबे समय से एक ही पद पर प्रवर्तन में इन अधिकारियों के बने रहने से कर माफ़ियाओं से गठजोड़ हो जाता है। ये गठजोड़ जहां राजस्व पर विपरीत प्रभाव डालता है वहीं भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा देता है।
सवाल ये है कि क्या इस बार स्थानांतरण नीति में मनमानी करते हुए, किये गए स्थानांतरण प्रक्रिया की खानापूर्ति के बाद, एक ही जगह पर जमे रहने वाले ऐसे अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार की जड़ें मजबूत कर रहे सिंडीकेट को लाभ पहुंचाया जाएगा?
क्या कहते हैं शासनादेश
उत्तरप्रदेश शासन की स्थानान्तरण नीति के तहत वाणिज्य कर विभाग में समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के अधिकारी जो अपने सेवा काल में किसी जनपद में कुल 6 वर्ष पूर्ण कर चुके होंगे, ऐसे लोगों को जिलों से स्थानान्तरित किया जायेगा। इसी प्रकार समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के अधिकारी जो मण्डल में दस वर्ष पूर्ण कर चुके होंगे, उन्हें उन मण्डलों से स्थानान्तरित किया जायेगा। समूह ‘क’ के अधिकारियों को उनके गृह मण्डल में तैनात नहीं किया जायेगा। समूह ‘ख’ के अधिकारियों को उनके गृह जनपद में तैनात नहीं किया जायेगा।
किसी की भी सचल दल से सचलदल अथवा वि.अनु.शा. में एवं वि.अनु.शा. से वि.अनु.शा. अथवा सचल दल में तैनाती नहीं की जायेगी। जो एडीशनल कमिश्नर ग्रेड-2 (अपील) ज्वाइंट कमिश्नर (कार्यपालक) ज्वाइंट कमिश्नर (कारपोरेट सेल) ज्वाइंट कमिश्नर (टैक्स आडिट) डिप्टी कमिश्नर (क.नि.) असिस्टेंट कमिश्नर/वाणिज्य कर अधिकारी (का.नि.) अपने पद पर तीन वर्ष पूर्ण कर चुके है, उन्हें अन्य पद पर तैनाती हेतु विचार किया जायेगा।
अगर कमिश्नर (प्रशासन), डिप्टी कमिश्नर का.नि. कर वसूली), डिप्टी कमिश्नर राज्य प्रतिनिधि के पदों पर एक वर्ष से तैनात अधिकारी यदि अन्य पदों पर तैनाती के इच्छुक हैं तो वे अपना विकल्प तदानुसार प्रस्तुत करेंगे। ऐसे समस्त ज्वाइंट कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर एवं असिस्टेंट कमिश्नर जो पूर्ण सेवा काल में कभी मुख्यालय, हाई कोर्ट वर्क्स, राज्य प्रतिनिधि कर वसूली अधिकारी, डिप्टी कमिश्नर प्रशासन के पदों पर तैनात नहीं रहे हैं, कार्यात्मक आवश्यकतानुसार उनकी तैनाती इन पदों पर करने पर विचार किया जायेगा। किसी अधिकारी के व्यक्तिगत कारण जैसे चिकित्सा या बच्चों की शिक्षा के आधार पर स्थान रिक्त होने अथवा दूसरे अधिकारी के सहमत होने पर स्थानान्तरण या समायोजन किया जा सकेगा, लेकिन उस पर कोई प्रशासनिक आपत्ति न हो। इस श्रेणी के अधिकारी अपने विकल्प के साथ सम्पूर्ण तथ्य साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत करेंगे। किसी अधिकारी के व्यक्तिगत कारण जैसे चिकित्सा या बच्चों की शिक्षा के आधार पर स्थान रिक्त होने दूसरे अधिकारी के सहमत होने पर स्थानान्तरण या समायोजन किया जा सकेगा किंतु उस पर 2 ऑफ 2 शासनिक आपत्ति ना हो।
इस श्रेणी के अधिकारी अपने विकल्प के साथ सम्पूर्ण तथ्य साक्ष्यों सहित देंगे। मानसिक रूप से विक्षिप्त बच्चों के माता-पिता की तैनाती अधिकृत सरकारी चिकित्सक के प्रमाण पत्र के आधार पर विकल्प प्राप्त करके ऐसे स्थान पर करने का प्रयास किया जायेगा जहाँ चिकित्सा की समुचित व्यवस्था उपलब्ध हो। विकलांग कार्मिकों अथवा ऐसे कार्मिक जिनके आश्रित परिवारीजन विकलांगता से प्रभावित हो, इन लोगों को सामान्य स्थानान्तरण से मुक्त रखा जाएगा। ऐसे विकलांग कार्मिकों के स्थानान्तरण गम्भीर शिकायतों अथवा अपरिहार्य कारणों से ही किए जा सकेंगे। विकलांग कार्मिका के द्वारा अनुरोध किए जाने पर पद की उपलब्धता के आधार पर उसे उसके गृह जनपद में तैनात करने पर विचार किया जा सकेगा।
प्रशासनिक आधार पर अधिकारियों का स्थानान्तरण तथा शासकीय कार्यहित को दृष्टिगत रखते हुए उपर्युक्त मापदण्डों में विचलन किया जा सकता है। संदिग्ध सत्यनिष्ठा वाले कार्मिकों की तैनाती संवेदन शील पदों पर कदापि नहीं की जाएगी।
विकल्प के अनुरूप जनपद में अधिकारियों की तैनाती का यथासम्भव प्रयास किया जायेगा, परन्तु उसके फलस्वरूप विकल्प के अनुसार जनपद में तैनात किये जाने का कोई अधिकार किसी अधिकारी को प्राप्त नहीं होगा एवं इस आधार पर कोई अनुरोध स्वीकार्य नहीं होगा। स्थानान्तरण के सम्बन्ध में वाह्य अथवा राजनैतिक दबाव डलवाने वाले अधिकारी के विरुद्ध प्रतिकूल दृष्टिकोण अपनाते हुए नियमानुसार अनुशासनिक कार्यवाही की जा सकेगी। पद विशेष की सिफारिश अथवा इस हेतु वाह्य एवं राजनैतिक दबाव डलवाने वाले अधिकारियों की सत्यनिष्ठा संदिग्ध मानते हुए उनके विरुद्ध कार्यवाही होगी। यदि पति-पत्नी दोनों सरकारी सेवा में हैं तो उन्हें यथासम्भव एक ही जनपद, नगर और स्थान पर तैनाती करने हेतु विचार किया जा जाएगा। इस तरह के स्थानांतरण नियमों को ताक पर रखकर विभाग में जो स्थानांतरण का मनमानी खेल किया गया है, वह आखिर किसकी देन है?
प्रदेश के बेहद ईमानदार और अनुशासन प्रिय छवि के तेज तर्राट आईएएस अधिकारी एम देवराज ने कुछ समय पहले ही प्रमुख सचिव राज्य कर विभाग का चार्ज लिया है, अब देखना ये होगा कि क्या अपनी कार्यशैली के अनुरूप वो यहां भी इस सिंडीकेट के नेटवर्क को ध्वस्त कर राजस्व चोरी रोकने में कामयाब होंगे, या फिर सिंडीकेट और अधिकारियों की मिलीभगत का नेटवर्क स्थानांतरण में खेल खेलते हुए यूं ही राजस्व का चूना लगाता रहेगा।

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