छह दिनों प्रतिदिन तक नए-नए प्रसंग जीवंत किए जाएंगे, 30 और 31 अगस्त को सांस्कृतिक मंच भी सजेगा
लखनऊ। मित्तल परिवार की ओर से न्यू गणेशगंज अमीनाबाद रोड पर लगने वाली शहर की एकमात्र डिजिटल मूविंग जन्माष्टमी झांकी इस बार जन्माष्टमी के दिन यानि 26 अगस्त से शुरू होगी। 31 अगस्त तक चलने वाली इस झांकी में हर दिन लीलाएं बदलेंगी। लाइट और साउंड के इफेक्ट के साथ चलने वाली इस झांकी में श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर महारास तक अलग-अलग दृश्यों को रोज जीवंत किया जाएगा। झांकी रोज शाम को छह बजे से शुरू होगी और रात 12 बजे तक चलेगी।
झांकी के संयोजक अनुपम मित्तल ने बताया कि 21 साल से लगातार आयोजित हो रही डिजिटल मूविंग झांकी में पहले दिन 26 अगस्त को कृष्ण जन्म, 27 अगस्त को माखन चोरी, 28 अगस्त को अघासुर वध, 29 अगस्त को नौका विहार, 30 अगस्त को गोवर्धन लीला और 31 अगस्त को महारास लीला का प्रदर्शन किया जाएगा। 30 और 31 अगस्त को यहां सांस्कृतिक मंच भी सजेगा। 30 अगस्त को सांस्कृतिक मंच पर क्षेत्रीय बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा।
छोटे छोटे बच्चे मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाएंगे और उम्दा प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को अगले दिन पुरस्कृत भी किया जाएगा। 31 अगस्त को सांस्कृतिक मंच पर राधा कृष्ण के रूप में बच्चों के द्वारा फूलों की होली का भव्य आयोजन किया जाएगा।
लखनऊ की गायिका जया शुक्ला और गायक अमित जायसवाल अपने भजनों और गीतों के माध्यम से लोगों का मनोरंजन करेंगे। छह दिन स्थायी झांकियां भी लगी रहेंगी जन्माष्टमी के दौरान यहां छह दिन स्थायी झांकियां भी लगेंगी। राधा कृष्ण को झ़ूला झुलाने वाली परंपरागत झांकी इस बार भी लगेगी।
अयोध्या में रामलला के विग्रह जैसी छह फुट ऊंची प्रतिमा के भी लोग दर्शन कर सकेंगे। 20 फुट का शिवलिंग भी सबके आकर्षण का केंद्र बनेगा। बजरंगबली की प्रतिमा बिजली के माध्यम से सीना चीरते दिखाई देगी और सीने में राम सीता की छवि दिखाई देगी।
सांप और बंदर का नाच दिखाते मदारी में बिजली के माध्यम में जीवंत दिखाई देंगे। सेल्फी प्वाइंट पर लोग अपनी फोटो खींच सकेंगे। नाका चौराहे तक लगता है जन्माष्टमी मेला गणेशगंज की झांकी के लिए नाका से झांकी स्थल तक डिजिटल एलईडी लाइटिंग वाले गेट लगाए जा रहे हैं। कम्प्यूटर ग्राफिक्स आधारित इन गेट पर बिजली से अलग-अलग बनने वाली आकृतियां यहां मेले जैसा माहौल बना देती हैं।
इसी के साथ यहां छोटी-छोटी कई दुकानें सज जाती हैं जहां प्लास्टिक के सामान, खेल-खिलौने, गृहस्थी की वस्तुएं, चाट-पकौड़ी की दुकानें। जहां शाम से रात तक लोगों का हुजूम लगा रहता है। तरह-तरह के झूले भी इस दौरान लगते हैं जिस पर झूलकर लोग बचपन की यादें ताजा करते हैं।