देहदान जागरूकता सम्मेलन में मंडलायुक्त श्री आन्जनेय कुमार सिंह ने पिंडदान से लेकर संस्कारों तक का विस्तार से बताया महत्व, तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन बोले, टीएमयू मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी स्टुडेंट्स को प्रैक्टिकल स्टडी एवम् शोध के लिए साल में कम से कम एक दर्जन डेड बॉडी की दरकार
मुरादाबाद। मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि रामपुर नागरिक समाज- रानास की ओर से आयोजित देहदान जागरूकता सम्मेलन में संस्कार और संस्कृति पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा, देहदान, अंगदान और नेत्रदान जीवन में महापुण्य के मानिंद हैं। उन्होंने देहदान को महादान की संज्ञा देते हुए कहा, इससे बड़ा कोई कर्म नहीं है। यह जिंदगी के साथ भी है और जिंदगी के बाद भी है। उन्होंने युवाओं से आहवान किया, वे अपने संस्कारों और संस्कृति को आत्मसात करें। वे न तो भयभीत हों और न ही कोई भ्रांति पालें। बतौर विशिष्ट अतिथि तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने एक सवाल के जवाब में कहा, टीएमयू मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी स्टुडेंट्स को प्रैक्टिकल स्टडी एवम् शोध के लिए साल में कम से कम एक दर्जन डेड बॉडी की दरकार होती है। ऐसे में देहदान के लिए समाज को आगे आना चाहिए। उल्लेखनीय है, दिल्ली के ग्रेटर कैलाश से दधीचि देहदान समिति के उपाध्यक्ष श्री प्रमोद अग्रवाल, सेक्रेटरी डॉ. गीता आहूजा, श्रीमती सत्या गुप्ता की भी गरिमामयी मौजूदगी रही। सम्मेलन के अंत में देहदानियों के परिजनों के संग देहदान का संकल्प लेने वालों को शाल ओढ़ाकर एवम् शील्ड, जबकि मेहमानों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। सम्मेलन का संचालन प्रो. पीएन अरोड़ा ने किया।
रामपुर के आशीर्वाद मंडप में आयोजित इस सम्मेलन में मुरादाबाद, रामपुर, काशीपुर, स्योहारा, खटीमा, दिल्ली, किच्छा, बरेली, ठाकुरद्वारा, अमरोहा आदि से देहदान, अंगदान और नेत्रदान समितियों की ओर से आए पदाधिकारियों ने तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन से पूछा, मेडिकल छात्रों के लिए देहदान का क्या महत्व है? कुलाधिपति श्री जैन ने कहा, टीएमयू में एमबीबीएस फर्स्ट ईयर के स्टुडेंट्स को अपनी प्रैक्टिकल स्टडी और शोध के लिए एनाटॉमी विभाग में हर साल कम से कम एक दर्जन डेड बॉडी की जरूरत होती है। उन्होंने बताया, देहदान करने वालों का मेडिकल कॉलेज के सूचनापट पर नाम दर्ज कर दिया जाता है। बाद में सामूहिक तौर पर अस्थियों को विसर्जित कर दिया जाता है। रामपुर नागरिक समाज समिति के संस्थापक सदस्य अचल राज पांडेय ने टीएमयू के कुलाधिपति सुरेश जैन से कहा, आप मुरादाबाद में बड़ा हॉस्पिटल संचालित करते हैं, लेकिन रामपुर में हदय रोग के इलाज की कोई सुविधा नहीं है। आपसे विनम्र आग्रह है, हार्ट ट्रीटमेंट के लिए एक इकाई रामपुर में भी खोल दी जाए, ताकि यहां भी जरूरतमंदों का समय पर इलाज हो सके। रानास के संस्थापक श्री सतीश भाटिया ने बताया, रामपुर से टीएमयू को पहले ही पांच देहदान किए जा चुके हैं। उल्लेखनीय है, मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह नोएडा मीटिंग में गए हुए थे, लेकिन बताते हैं, वह समाजसेवी सतीश भाटिया के आग्रह पर नोएडा से सीधे देर शाम रामपुर पहुंचे। देहदान जागरूकता सम्मेलन में जाने-माने नेत्र विशेषज्ञ डॉ. किशोरी लाल, एसके गौड़, सतीश भाटिया, सरदार गुरबिंदर सिंह, दिनेश भाटिया, ज्ञानेंद्र गांधी, अनिल अग्रवाल, दर्शन हिंदुस्तानी, विष्णु कुमार, श्याम सुंदर दिवाकर, श्रीमती बीजा दिवाकर, अखिलेश सक्सेना, हरीश ध्यानी, एसपी शर्मा, श्याम यादव, विजय अग्रवाल, रविन्द्र गुप्ता, श्रीमती शोभना गुप्ता, आदित्य ठक्कर, आशुतोष श्रीवास्तव, श्रीमती संतोष भाटिया, श्रीमती वीना वर्मा, डॉ. मुनीश गुप्ता, शरीफ अहमद, देव रस्तोगी, प्रेम रस्तोगी, रामकिशोर वर्मा आदि की मौजूदगी रही।
65वें प्याऊ के संग-संग 100वें प्याऊ के भी साक्षी रहे श्री आन्जनेय सिंह
सेवा, संकल्प और समर्पण का दूसरा नाम सतीश भाटिया है। चिलचिलाती धूप हो या कड़ाके की सर्दी या फिर मूसलाधार बारिश ये सभी विपरीत मौसम भाटिया के जुनून और तपस्या पर बेअसर साबित होते हैं। कारोबारी परिवार में जन्मे 68 वर्षीय भाटिया 31 बरस से भिन्न-भिन्न क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनमें से प्याऊ की स्थापना एक है। यह किस्सा भी उल्लेखनीय है, रामपुर में 65वें प्याऊ का लोकार्पण आन्जनेय कुमार सिंह ने बतौर डीएम किया था। सिंह ने समाजसेवी भाटिया से अपेक्षा की, रामपुर में बतौर डीएम 65 का यह आंकडा 100 में कब तब्दील होगा? इस पर मुस्कुराते हुए, भाटिया ने कहा, सर, अमूमन डीएम दो या तीन साल रह पाते हैं? यह रामपुर के लिए सौभाग्य की बात है, आन्जनेय सिंह ने बतौर कमिश्नर 100वां प्याऊ जनता को समर्पित किया। अब 123वां प्याऊ अगले महीने जनता को समर्पित कर दिया जाएगा। यदि इसे यह कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए, प्याऊ लगाने का यह आंकड़ा भाटिया और उनकी टीम के संकल्प का ही प्रतिफल है।
रामपुर की सेवा में भाटिया का योगदान अविस्मरणीय है। 1994 में उन्होंने लावारिश लाशों की अंत्येष्टि के साथ इस संकल्प को आगे बढ़ाया। स्वर्गधाम आश्रम की स्थापना कराई। इस आश्रम की ख़ास बात यह है, यहां पार्थिव शरीर को हरिद्वार से लाए जल से ही स्नान कराया जाता है। चाहे रक्तदान हो या वस्त्रदान या दीपावली हो या भईया दूज सभी मौकों पर जरूरतमंदों की मदद करना नहीं भूलते हैं। जेल, वृद्धाश्रम, अनाथाश्रम, विधवाश्रम सभी में पर्वों के हिसाब मिष्ठान आदि वितरित कराते हैं। रामपुर नागरिक समाज की अहम कड़ी के रूप में भाटिया समय-समय पर चिकित्सा शिविर लगाना भी नहीं बिसराते हैं। उल्लेखनीय है, समाजसेवी सतीश भाटिया 2013 में देहदान का संकल्प ले चुके हैं।