तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ फिजियोथैरेपी में एंडवांसमेंट इन एयरवे क्लिरन्स तकनीक पर गेस्ट लेक्चर में वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज, दिल्ली की सीनियर फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. दिव्या एम. शर्मा ने की शिरकत
मुरादाबाद। सफदरगंज हॉस्पिटल, दिल्ली की सीटीवीएस एवम् वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज, दिल्ली की सीनियर फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. दिव्या एम. शर्मा बोलीं, एवरी ब्रीथ काउंट्स। मतलब अगर पूर्ण रूप से पर्याप्त ऑक्सीजन मानव के फेफड़ों तक प्रवेश करेगी तो वह मानव जीवन के लिए संजीवनी की मानिंद है। डॉ. दिव्या ने बताया, ऑक्सीजन लेने में 70 प्रतिशत काम डायफ्राम और 30 प्रतिशत कार्य दीगर सहायक मांसपेशियों का होता है। लंबे समय से सांस संबधी बीमारियों जैसे- टीबी, दमा अस्थमा आदि से पीड़ित व्यक्ति के डायफ्रॉम ढीले पड़ जाते हैं, जिससे व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होने लगती है। इन रोगियों की सांस संबंधी दुश्वारियों को फिजियोथैरेपिस्ट विभिन्न तकनीकों जैसे- डाइफ्रामिक ब्रीथिंग, ग्लोसोफैरंगियल, पर्सड लिप ब्रीथिंग, लेट्रल कोस्टल ब्रीथिंग आदि से दूर किया जा सकता है। डॉ. शर्मा तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के डिपार्टमेंट ऑफ फिजियोथैरेपी की ओर से एंडवांसमेंट इन एयरवे क्लिरन्स तकनीक पर आयोजित गेस्ट लेक्चर में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहीं थीं। इससे पहले डॉ. दिव्या एम. शर्मा ने बतौर मुख्य वक्ता, फिजियोथैरेपी विभाग की एचओडी डॉ. शिवानी एम. कौल आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके गेस्ट लेक्चर का शुभारम्भ किया। लेक्चर के दौरान सवाल-जवाब का दौर भी चला। अंत में मुख्य वक्ता को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
डॉ. दिव्या एम. शर्मा ने श्वांस और हृदय संबंधी रोगों में फिजियोथैरेपिस्ट की भूमिका और कार्यशैली पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया, निमोनिया में फेफड़ों के अंदर एक हानिकारक चिपचिपा तरल पदार्थ जमा होने लगता है। इससे पेशेंट को सांस लेने में परेशानी होती है। एक फिजियौथैरेपिस्ट विभिन्न श्वांस तकनीकों के जरिए इसे निकालने में रोगी की मदद करता है, जिससे रोगी को आराम मिलता है और उसकी मांसपेशियों पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। फिजियोथैरेपी विभाग की एचओडी डॉ. शिवानी एम. कौल ने कार्डियोपल्मोनरी में फिजियोथैरेपी के महत्व पर गहनता से प्रकाश डालते हुए फिजोयोथैरेपिस्ट की भूमिका को समझाया। गेस्ट गेक्चर के दौरान फैकल्टीज़- डॉ. नीलम चौहान, डॉ. सोनम निधि, डॉ. कामिनी शर्मा, डॉ. हरीश शर्मा, डॉ. समर्पिता सेनापति, डॉ. मुस्कान जैन के अलावा एमपीटी के 30 और बीपीटी के 187 छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। संचालन डॉ. शिप्रा गंगवार, डॉ. नन्दकिशोर, डॉ. हिमानी और डॉ. प्रिया शर्मा ने किया।