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हैल्थ सेक्टर इन्नोवेशन में इंडिया अग्रदूत: डॉ. शिरुमल्ला

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फार्मेसी कॉलेज और इंस्टीट्यूशनल इन्नोवेशन काउंसिल- आईआईसी की ओर से फार्मास्युटिकल रिसर्च एंड इन्नोवेशनः स्ट्रेंथनिंग इंडस्ट्री-अकेडमिया कोलाबोरेशन पर दो दिनी नेशनल कॉन्फ्रेंस- एनसीपीआरआई 2025 का शुभारम्भ

मुरादाबाद। नेशनल बायोफर्मा मिशन के डायरेक्टर डॉ. राज के. शिरुमल्ला बोले, आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। यह कहावत आज के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सार्थक सिद्ध हो रही है। बढ़ती बीमारियां, संसाधनों की कमी और जनसंख्या का दबाव स्वास्थ्य पेशेवरों को लगातार नए समाधान खोजने के लिए प्रेरित कर रहा है। डॉक्टर, फार्मासिस्ट, नर्स और हेल्थ टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स के लिए इंडिया अब मात्र सेवा प्रदाता नहीं, बल्कि नवाचार का अग्रदूत बन चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित संसाधनों के बावजूद मोबाइल क्लिनिक, टेलीमेडिसिन और कम लागत वाले डायग्नोस्टिक उपकरणों ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाया है। कोविड-19 महामारी ने भी यह सिद्ध कर दिया है, कैसे आवश्यकता के समय चिकित्सा क्षेत्र में अभूतपूर्व नवाचार संभव होते हैं ? वेंटिलेटर की कमी से लेकर टीकाकरण तक हर चुनौती के साथ एक नया समाधान जन्म लेता गया। डॉ. शिरुमल्ला बोले, सीमित संसाधनों में ही आविष्कार जन्म लेते हैं। यही कारण है, आज भारत जैसे विकासशील देशों में भी स्वास्थ्य क्षेत्र में स्टार्टअप्स, डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म्स, आयुर्वेद और एलोपैथी का समन्वय तीव्र गति से बढ़ रहा है। डॉ. राज के. शिरुमल्ला तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फार्मेसी कॉलेज और इंस्टीट्यूशनल इन्नोवेशन काउंसिल- आईआईसी की ओर से फार्मास्युटिकल रिसर्च एंड इन्नोवेशनः स्ट्रेंथनिंग इंडस्ट्री-अकेडमिया कोलाबोरेशन पर दो दिनी नेशनल कॉन्फ्रेंस- एनसीपीआरआई 2025 के शुभारम्भ मौके पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इससे पूर्व डॉ. राज के. शिरुमल्ला ने बतौर मुख्य अतिथि, पीसीआई फाइनेंस कमेटी के चेयरमैन डॉ. विभु साहनी, टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके ऑडी में नेशनल कॉन्फ्रेंस का शुभारम्भ किया। इस मौके पर कॉन्फ्रेंस चेयर एवम् फार्मेसी के प्राचार्य प्रो. अनुराग वर्मा, कन्वीनर प्रो. फूलचन्द, को-कन्वीनर- प्रो. मयूर पोरवाल एवम् प्रो. कृष्ण कुमार शर्मा, सेक्रेटरी श्री आदित्य विक्रम जैन आदि की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। सभी अतिथियों को मेडिसिन प्लांट्स भेंट करके स्वागत और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर मेहमानों ने सोवेनियर का विमोचन भी किया। कॉन्फ्रेंस के पहले दिन उद्योगों की जरूरतों के मुताबिक आवश्यक स्किल्स, इंटर्नशिप, इंडस्ट्री द्वारा प्रायोजित प्रोजेक्ट, करिकुलम अपडेट, पर्सनेलाइज्ड मेडिसिन, जैव प्रोद्योगिकी, प्रोसेस ऑटोमेशन के स्किल्स पर पैनल डिसक्शन भी हुआ। संचालन कॉन्फ्रेंस सेक्रेटरी डॉ. आशीष सिंघई ने किया।

डॉ. राज ने फार्मेसी क्षेत्र में एआई, बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोटेक्नोलॉजीकल, सेल और जीन थैरेपी, आरएनए थैरेपी, बायोसिमेलर ड्रग्स, बायोम ड्रग्स, बायो इन्नोवेशन, फार्मास्युटिकल स्टार्टअप्स पर विस्तार से प्रकाश डाला। फार्मेसी सेक्टर में एआई को वरदान बताते हुए बोले, एआई की मदद से अब तक तीन हजार से ज्यादा ड्रग्स को खोजा जा चुका है। एआई से समय, श्रम और धन की बचत होती है। मौजूदा वक्त में कैंसर के निदान और जीन थैरेपी में एआई ने सकारात्मक भूमिका दर्ज कराई है। रिसर्च के क्षेत्र में भी एआई ने सक्सेस रेट में इजाफा किया है। अब तक ट्रीटमेंट में हम गोली, सीरप, इंजेक्शन आदि का उपयोग करते हैं, लेकिन बदलती टेक्नोलॉजी में हम सेल जीन थैरेपी का सर्वाधिक उपयोग कर रहे हैं। इसके नतीजे भी चमत्कारिक साबित हो रहे हैं। कैंसर मुक्ति में तो मोडिफाइड कोशिकाएं संजीवनी की मानिंद है। टी सेल्स और नेचुरल किलर सेल्स संक्रमित रक्त और जीन को प्यूरिफाई करता है। आरएनए थैरेपी हमारे डीएनए को परिवर्तित करके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। डॉ. राज ने आधुनिक ट्रीटमेंट की तमाम उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए फार्मेसी स्टुडेंट्स से आहवान किया कि वे अपनी स्किल्स को डवलप करें। वीसी प्रो. वीके जैन का ध्यानाकर्षित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. राज के. शिरुमल्ला नेे वैश्विक उड़ान के लिए एआई और बायोटेक्नोलॉजी को तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में शामिल करने की सलाह दी।

ख़ास बातें
मुख्य अतिथि बोले, फार्मेसी सेक्टर में एआई ने खोजी तीन हजार से ज्यादा ड्रग्स
फार्मेसी में रिसर्च के लिए तीन हजार करोड़ की दी बड़ी सौगातः डॉ. विभु साहनी
कोविड 19 के बाद और निखरी फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीः वीसी प्रो. वीके जैन
प्राचार्य प्रो. अनुराग वर्मा ने बताई विकास यात्रा, कॉन्फ्रेंस की थीम की प्रस्तुत
कॉन्फ्रेंस में अतिथियों को मेडिसिन प्लांट्स के संग भेंट किए स्मृति चिन्ह भी


पीसीआई फाइनेंस कमेटी के चेयरमैन डॉ. विभु साहनी बतौर विशिष्ट अतिथि बोले, केंद्र सरकार ने फार्मेसी में रिसर्च के लिए तीन हजार करोड़ की बड़ी सौगात दी है। साथ ही जीपैट उत्तीर्ण छात्रों के लिए एक हजार अस्सी करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति का प्रावधान भी किया है। एक और सौगात का जिक्र करते हुए बोले, डिप्लोमा होल्डर फार्मेसी स्टुडेंट्स भी अब फार्मास्युटिकल पैकेजिंग इंडस्ट्री में भी अपना करियर बना सकेंगे। साथ ही बोले, हील बाय इंडिया योजना में भी फार्मेसी स्टुडेंट्स की बड़ी भागीदारी रहेगी। कोविड काल में फार्मासिस्टों की भूमिका अविस्मरणीय रही। अब फार्मासिस्टों के लिए नए द्वार खुलेंगे, केन्द्र सरकार की ओर से फार्मासिस्टों को एक सेंट्रल आईडी दी जाएगी, जिससे वह देश में कहीं पर भी कार्य कर सकेंगे। साथ ही फार्मेसी स्टुडेंट्स की अटेंडेंस को आधार से ऑथेंटिकेट किया जाएगा। टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन बोले, कोविड 19 के बाद फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री और निखर कर सामने आई है। नई दवाइयों के संग-सग नई तकनीक और स्टार्ट अप्स के रुप में तेजी से ग्रोथ हुई है। पर्सनेलाइज मेडिसिन, पर्सनल केयर और फार्मास्युटिकल टेक्नोलॉजी के तालमेल से स्वास्थ्य के प्रति संजीदगी बड़ी है। छोटी-छोटी सफलताएं मिलकर ही बड़ी सफलता बनती है। इसीलिए, वन, वन, वन थ्री नहीं, बल्कि एक सौ ग्यारह है। ट्रस्ट को ट्रेनिंग, रिफ्लेक्टिंग, अपलिफ्टिंग, सपोर्ट और ट्रांसफॉर्म के तौर पर परिभाषित करते हुए बोले, फार्मेसी स्टुडेंट्स ट्रस्ट को संजीदगी से आत्मसात करें। कॉन्फ्रेंस चेयर एवम् फार्मेसी के प्राचार्य प्रो. अनुराग वर्मा ने फार्मेसी कॉलेज की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कॉन्फ्रेंस की थीम प्रस्तुत की। कॉन्फ्रेंस में बीआईटीएस, पिलानी के डॉ. हेमंत जाधव, सीडीआरआई, लखनऊ के साइंटिस्ट डॉ. नसीम अहमद सिद्दीकी, ल्युपिन के कॉर्पोरेट अफेयर्स डायरेक्टर श्री अभिनव श्रीवास्तव ने बतौर की नोट स्पीकर अपना व्याख्यान दिया। डीपीएसआरयू, दिल्ली की डॉ. प्रीति जैन के अलावा कॉन्फ्रेंस में प्रो. आरके द्विवेदी, डॉ. ज्योति पुरी, डॉ. अमित कंसल, डॉ. वैभव रस्तोगी, डॉ. पीयूष मित्तल, श्रीमती दीक्षा वर्मा, डॉ. शिवानी वार्ष्णेय, डॉ. शिप्रा कार्तिक, श्री हरीश वर्मा, डॉ. पुष्पेन्द्र कुमार शुक्ला, डॉ. मिथुल मेमन, श्री अभिषेक आनन्द, डॉ. कोमल मानवानी आदि मौजूद रहे।

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