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जैसे-जैसे ज्ञान बढ़ता है, वैसे-वैसे सुख भी बढ़ता है : आचार्य रूप

जैसे-जैसे ज्ञान बढ़ता है, वैसे-वैसे सुख भी बढ़ता है : आचार्य रूप

बिल्सी। तहसील क्षेत्र के गांव गुधनी में आर्य समाज के तत्वावधान में रविवार को साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। यहां सबसे पहले सामवेद के मंत्रों से सामूहिक यज्ञ किया गया। इसके बाद प्रवचन दे रहे वैदिक विद्वान आचार्य संजीव रूप ने कहा कि हमारे दुख का कारण अज्ञान है, जैसे-जैसे ज्ञान बढ़ता है, वैसे-वैसे सुख बढ़ता है किंतु ध्यान रहे अधूरा ज्ञान बड़ा हानिकारक होता है। ज्ञान हमें विनम्र तथा सदाचारी बनता है। यदि हम विनम्र सदाचारी परोपकारी नहीं होते तो यह निश्चित है कि हमने अभी ज्ञान प्राप्त नहीं किया है। जो लोग अपनी बुद्धि से समाज में विघटन पैदा करते हैं तथा भ्रष्टाचार अनाचार को बढ़ाते है निश्चित ही वे विद्यावान नहीं होते। तृप्ति शास्त्री ने कहा कि हम सभी को धार्मिक होना चाहिए, धार्मिक वह होता है जो अपने सुख से पहले दूसरे के सुख का विचार करता है। इस मौके पर अगरपाल सिंह, राकेश आर्य, मोना आर्य, ईशा आर्य, तानिया रानी, संतोष कुमारी, सुखबीर सिंह, पंजाब सिंह, मास्टर साहब सिंह आदि मौजूद रहे।

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