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कीटनाशकों के समुचित प्रयोग से होगा आम की फसल का बचाव

कीटनाशकों के समुचित प्रयोग से होगा आम की फसल का बचाव
बदायूँ: 24 अप्रैल। जिला उद्यान अधिकारी सुनील कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में आम के गुणवत्तायुक्त उत्पादन के लिए सम-सामयिक महत्व के कीट एवं रोगों का उचित प्रबंधन समय से किया जाना नितान्त आवश्यक है, बौर निकलने से लेकर फल लगने तक की अवस्था अत्यन्त ही संवेदनशील होती है। वर्तमान में बागवानों को मुख्य रूप से थ्रिप्स (रूजी कीट) एवं कैटरपिलर /कटर कीट (ब्लैक इंच वर्म) कीट से पौधों को क्षति पहुंचने की सम्भावना रहती है।
उन्होंने बताया कि आम के बागों में थ्रिप्स (रूजी कीट) का प्रकोप दिखाई देता है, ये छोटे कीट आम के पुष्पक्रम और नयी कोमल पत्तियों पर धब्बे एवं मुड़ने की समस्या को दर्शाता है, जिससे फल विकास में बाधा उत्पन्न होती है। समय पर नियंत्रण न करने पर फलों की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
इसके नियंत्रण हेतु यांत्रिक विधि से ब्ल्यू एवं येलो स्टिकी टैªप 20 से 25 टैªप प्रति हेक्टेयर की दर से लगाये एवं रसायनिक नियंत्रण हेतु-फिप्रोनिल 05 प्रतिशत एस0सी0 या थियाक्लोप्रिड 21.7 प्रतिशत एस0सी0 0.5 मि0ली0/प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। आवश्यकतानुसार 08 से 10 दिन के अंतराल पर पुनः छिड़काव करें।
उन्होंने बताया कि कैटरपिलर/कटर कीट (ब्लैक इंच वर्म) कीट आम उत्पादक/बागवानों के लिए गंभीर खतरा है। यह कीट आम के साथ-साथ अमरूद एवं अन्य फल वृक्षों में नवीन कल्ले/प्रत्तियों एवं फलांे को खाकर अपना जीवन चक्र पूर्ण करता है। कभी-कभी प्रारम्भिक अवस्था के फलों को डण्ठल सहित काटकर भूमि पर गिरा देता है, जिससे आम उत्पादक/बागवानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है एवं वित्तीय क्षति पहुंचने की सम्भावना रहती है।
इसके नियंत्रण के लिए आम उत्पादकों/बागवानों को व्यस्क कीटों के संवर्धन पर नियंत्रण हेतु आम की बागों में लाइट-टैªप का प्रयोग करने का सुझाव दिया जाता है एवं रसायनिक नियंत्रण हेतु-क्लोरोसाइपर (क्लोरोपायरीफॉस 50 व साइपरमेथरिन 5 ई0सी) दवा 01 मि0ली0/ प्रति लीटर पानी में या इमामेक्टिन बेंजोएट 05 प्रतिशत एस0जी0, 0.5 मि0ली0/प्रति लीटर पानी में या स्पिनेटोरम 11.7 प्रतिशत एस0सी0 0.3 मि0ली0/प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। आवश्यकतानुसार 08 से 10 दिन के अंतराल पर पुनः छिड़काव करें।
उन्होंने बताया कि कीटनाशक के डिब्बों को बच्चों व जानवरों की पहुंच से दूर रखना चाहिये। कीटनाशक का छिड़काव करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह को मास्क व आंखों को चश्मा पहनकर ढक लेना चाहिए, जिससे कीटनाशी त्वचा व आंखों में न जाये। कीटनाशक का छिड़काव शाम के समय जब हवा का वेग अधिक न हो तब करना चाहिये अथवा हवा चलने की विपरीत दिशा में खड़े होकर करना चाहिये। कीटनाशक के खाली/पाउच/डिब्बों को मिट्टी में दबा देना चाहिये।
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