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स्रोत प्रबंधन अकादमिक शोध का प्राण”–डा.मनमोहन सिंह

“स्रोत प्रबंधन अकादमिक शोध का प्राण”–डा.मनमोहन सिंह
नेहरू मेमोरियल शिव नारायण दास स्नातकोत्तर महाविद्यालय बदायूं के शोध निदेशालय एवं आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में
शोध पद्धति प्रविधि विषय पर आयोजित छः दिवसीय कार्यशाला के पांचवें दिवस के प्रथम सत्र में जे.एस. हिन्दू स्नातकोत्तर महाविद्यालय अमरोहा के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष एवं शोध पर्यवेक्षक डॉ मनमोहन सिंह ने आमंत्रित विषय व्याख्यान के रूप में अकादमिक शोध में “स्रोत प्रबंधन -तकनीकियां एवं उपकरण” विषय पर व्याख्यान देते हुए स्रोत प्रबंधन को अकादमिक शोध की साहित्यिक चोरी ( प्लेगिरिजम) से बचाने, शोध की अखंडता, नैतिकता, मौलिकता को बनाए रखने हेतु शोध का प्राण तंत्र बताया । स्रोत प्रबंधन की विभिन्न तकनीकियों, उद्धरण तकनीक, उद्धरण के प्रकार – इन्टरनेट उद्धरण, फुटनोट उद्धरण एवं उसके विभिन्न उद्धरण शैलियों -ए०पी०ए०,एम०एल०ए०, शिकागो आदि पर विस्तार से चर्चा की। प्रथम सत्र के उपरांत रिसोर्स पर्सन डॉ मनमोहन सिंह को शोध निदेशक एवं आयोजन समिति द्वारा प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।द्वितीय सत्र में डॉ प्रिंस विशाल दीक्षित ,योग एवं स्पोर्ट्स विभागाध्यक्ष ने प्रतिभागियों को गतिविधियों के अन्तर्गत स्रोत प्रबंधन के प्रमुख उपकरणों में जोटेरो,मेडले , एंडनोटस आदि जैसे सन्दर्भ प्रबंधन उपकरणों पर व्यावहारिक अभ्यास कराया जिसमें छात्रों की उचित उद्धरण और सन्दर्भ के लिए विभिन्न साफ्टवेयरों एवं तकनीकियों से परिचित कराया एवं शोधकर्ताओं को आकस्मिक साहित्यिक चोरी से बचने हेतु मार्गदर्शन किया। अंत में शोध निदेशक प्रोफेसर मनवीर सिंह ने दोनों रिसोर्स पर्सन एवं कार्यशाला में जुड़े प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

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