*राजकीय महाविद्यालय में बौद्धिक संपदा दिवस आयोजित*
आवास विकास स्थित राजकीय महाविद्यालय बदायूं में आईआईसी सेल द्वारा विशिष्ट व्याख्यान , निबन्ध और क्विज़ प्रतियोगिता आयोजित कर विश्व बौद्धिक सम्पदा दिवस मनाया गया।
मुख्य वक्ता के रुप में भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के पेटेंट एवं डिजाइन परीक्षक यासिर अब्बास जैदी ने इस वर्ष की बौद्धिक संपदा दिवस के इस वर्ष की थीम बौद्धिक की संपदा और संगीत के अधिकार से संबंधित विषयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गीत संगीत कला की अनुपम विधा है जिसमें निरंतर मौलिकता मौलिक सृजनशीलता बनी रहनी चाहिए। इसलिए मौलिक सृजन के वास्तविक स्वरूप को सुरक्षित रखना उसका कलाकार का अधिकार है और जिसकी किसी भी प्रकार से कॉपीराइट नहीं की जा सकती।
आईईसी सेल के संयोजक एवं प्राचार्य डॉ नरेंद्र कुमार बत्रा ने मुख्य अतिथि सहित समस्त प्रतिभागियों का स्वागत किया। सेल के अध्यक्ष डॉ संजीव राठौर ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि भारत ने अपने आईपी पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सेल की उपाध्यक्ष डॉ श्रद्धा गुप्ता ने कहा कि ट्रिप्स समझौते के हस्ताक्षरकर्ता एवं डब्ल्यूआईपीओ के सदस्य के रूप में, भारत नवाचार की सुरक्षा के महत्व को पहचानता है।
आईपीआर गतिविधि के समन्वयक डॉ सचिन राघव ने कहा कि भारत की राष्ट्रीय आईपीआर नीति 2016, जिसका आदर्श वाक्य “रचनात्मक भारत; अभिनव भारत” है, बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में जागरूकता, व्यावसायीकरण, प्रवर्तन और मानव पूंजी विकास को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीतिक रूपरेखा प्रदान कर रही है।
नवाचार गतिविधियों की समन्वयक डॉ सरिता ने बौद्धिक सम्पदा अधिकार से जुड़े विषयों पर निबन्ध प्रतियोगिता सम्पन्न कराई जिसमें प्रथम स्थान एमए अंग्रेजी की छात्रा स्वाति मौर्या ने प्राप्त किया। बीएससी की छात्रा अंजलि अग्रवाल ने दूसरा स्थान तथा एमए उर्दू की छात्रा रज़िया सुल्तान ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। डॉ प्रियंका सिंह ने ऑनलाइन क्विज़ प्रतियोगिता सम्पन्न कराई जिसमें प्रथम स्थान पर संयुक्त रूप से स्वाति मौर्या, राधिका गुप्ता एवं अरुण कुमार रहे। दूसरा स्थान सचिन यदुवंशी को मिला। तीसरा स्थान ओमकार सिंह एवं संजना सिंह को मिला।
मीडिया संयोजक डॉ राकेश कुमार जायसवाल ने कार्यक्रम के ऑफलाइन और ऑनलाइन प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि विश्व बौद्धिक संपदा दिवस 2025 एक ऐसा उत्सव है जिसमें आईपी की धड़कन महसूस को महसूस किया जा सकता है। इस वर्ष का उत्सव हमें याद दिलाता है कि हर धुन, गीत और लय आईपी कानूनों के माध्यम से संरक्षित करना संभव है।
कार्यक्रम के आयोजन में प्रकोष्ठ के सदस्य डॉ हुकुम सिंह, डॉ सतीश सिंह यादव आदि ने सहयोग प्रदान किया।