देखो वो इंसा चला गया
धर्म के नाम पर छला गया
जो कलमा नहीं पढ़ पाया वो
फिर लौट के घर नहीं आया वो
भारत देश में रहता था
मैं हिंदू हूं वो कहता था
पहलगाम कश्मीर में वो
परिवार के संग में बैठा था
कुछ लोग वहां तब आए थे
धर्म का झंडा लाए थे
कहने को तो इंसान थे वो
हैवान वेश में आए थे
मित्रता का हाथ बढ़ाकर
छल से उनको फंसा लिया
हिंदू हिंदू जो जो था
सबको खून से सना दिया
खुद को ये मानव कहते हैं
इनमें तो दानव रहते हैं
ये आतंक के जो आदि हैं
ये ही तो आतंकवादी हैं
नफरत का चोला ओढ़े
ये हिंदू हिंदू मार रहे
मैं हिंदुस्तान का हिंदू हूं
मानवता मन में रखता हूं
मैं भारत देश का वासी हूं
देश से प्रेम मैं करता हूं
धर्म पर ये जो छलते है
ये लोग सभी तैयार रहें
मैं कह देता हूं इन छलियों से
अब मरने को तैयार रहें
अब मरने को तैयार रहें।
पलक गुप्ता
हिंदी पत्रकारिता
(दिल्ली विश्वविद्यालय)