Homeस्वास्थ्यअधिक आक्रमकता: मानसिक स्वास्थ्य के लिए चुनौती

अधिक आक्रमकता: मानसिक स्वास्थ्य के लिए चुनौती

आक्रामकता वह व्यवहार है जो जानबूझकर दूसरे को हानि पहुंचाने के उद्देश्य से किया जाता है। आक्रामकता मुख्य रूप से कुंठा के कारण उत्पन्न होता है। आक्रामकता की अवस्था में व्यक्ति अपने नियंत्रण से बाहर हो जाता है वह चिल्लाने, आसपास का सामान तोड़ने, झगड़ा करना, मारपीट करना या रोने जैसा व्यवहार करने लगता है। इसमें व्यक्ति को छोटी-छोटी बात पर बहुत अधिक गुस्सा आता है। यह स्थिति न केवल उस व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है बल्कि उसके समायोजन क्षमता को भी बिगाड़ देता है। आक्रामकता का दुष्प्रभाव व्यक्ति के व्यक्तिगत व सामाजिक संबंधों को बुरी तरह से प्रभावित करता है। आधुनिक समाज में बदलते पारिवारिक स्थितियां व सामाजिक ताने-बाने में परिवर्तन के कारण लोगों में आक्रामकता दिनों दिन बढ़ती जा रही है। आक्रामकता को नियंत्रित करने की प्रथम अवस्था हैः इसके कारणों को जानना। आक्रामकता से बचाव के अनेक उपाय जिन्हें अपनाकर इसके दुष्परिणामों से बचा जा सकता है।

आक्रामकता के कारण:-

  • आनुवांशिकता
  • मानसिक रोग
  • मस्तिष्क में जैविक असंतुलन
  • दोषपूर्ण पालन- पोषण
  • आक्रामक व्यवहार को स्वीकृति व प्रशंसा प्रदान किया जाना
  • आवेगों पर नियंत्रण की क्षमता की कमी
  • नशे का प्रयोग
  • कुंठा की भावना
  • भय की भावना
  • अरुचिकर कार्य करने हेतु बाध्य होना
  • आंतरिक संघर्ष
  • भेदभाव
  • उत्पीड़न
  • व्यक्तित्व विकार

लक्षण:-

  • मनोदशा में जल्दी-जल्दी परिवर्तन
  • हमेशा परेशान से देखते हैं
  • अलग-थलग रहते हैं
  •  नींद की समस्या
  • भूख में गड़बड़ी
  • ध्यान केंद्रण की समस्या
  • खराब संप्रेषण कौशल
  • भ्रम की अधिकता
  • क्रोध की अधिकता
  •  शत्रुतापूर्ण व्यवहार
  •  डराने धमकाने की प्रवृत्ति
  • प्रतिस्पर्धा की अत्यधिक भावना
  • अति उत्तेजना
  • अति सक्रियता
  • अव्यवस्थित दिनचर्या
  • अव्यवस्थित सोच

आक्रामकता का दुष्प्रभाव:-

  • रिश्तों पर प्रतिकूल प्रभाव
  • हृदय की समस्या
  •  तलाक
  • दुर्घटना की संभावना
  • चोट की संभावना
  • उच्च रक्तचाप
  • शैक्षिक बिफलता
  • खराब निष्पादन
  • सामाजिक अलगाव
  • निराशा
  • चिंता
  • नशे का उपयोग

बचाव के उपाय:-

  •  स्थितियों को नजर अंदाज करना सीखें
  • वातावरण में बदलाव करें
  • मनन व ध्यान करें
  • रिलैक्सेशन एक्सरसाइज करें
  • माफ करने की आदत डालें
  • सृजनात्मक कार्यों में ऊर्जा को लगाएं
  • हंसे एवं मुस्कुराए
  • आसपास सकारात्मक वातावरण बनाएं
  • पर्याप्त नींद ले
  • संगीत सुने
  • आक्रामकता के कारणों को दूर करें
  • गहरी-गहरी सांस लेने
  • आक्रमाता उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों से अलग हो जाए
  • नियमित व्यायाम करें
  • नियमित दिनचर्या रखें

यद्यपि की सामान्य स्तर की आक्रामकता कुछ परिस्थितियों में समायोजन के लिए आवश्यक होता है किंतु अधिक आक्रामकता की भावना न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक हानि  के लिए भी जिम्मेदार है। उपर्युक्त बचाव के उपाय का पालन करने से आक्रामकता में कमी पाई गई है किंतु यदि इसको अपने के बाद भी आक्रामकता की भावना में कमी न आए तो तुरंत प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक से परामर्श लेना आवश्यक होता है।

डॉ मनोज कुमार तिवारी
वरिष्ठ परामर्शदाता
एआरटी सेंटर, एस एस हॉस्पिटल, आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments