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नीतीश की दबाव राजनीति

विपक्षी खेमे से आगे निकलने की जुगत में बिहार भाजपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। पार्टी नेतृत्व का प्रयास बिहार की सभी 40 सीटों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की जीत सुनिश्चित करने का है। कांग्रेस को तभी नीतीश को संयोजक बनाने की सामयिकता दिख रही है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के संयोजक बन सकते हैं। दरअसल विपक्ष की सियासत का पेचोखम नीतीश कुमार के साथ उलझ गया है। विपक्षी दलों की पिछली बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की वकालत की थी। इससे नीतीश कुमार की रणनीति ही डगमगाती नजर आयी। बिहार में राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को जनता दल युनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाने के बाद नीतीश कुमार के एनडीए में फिर से शामिल होने की चर्चा होने लगी थी। इतना ही नहीं भाजपा नेता अमित शाह बिहार में लोकसभा चुनाव की जातीय गणित बताने लगे। विपक्षी खेमे से आगे निकलने की जुगत में बिहार भाजपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। पार्टी नेतृत्व का प्रयास बिहार की सभी 40 सीटों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की जीत सुनिश्चित करने का है। कांग्रेस को तभी नीतीश को संयोजक बनाने की सामयिकता दिख रही है। जद यू इस बात को समझ गयी इसीलिए उसके नेता विरोध करने उतर पडे हैं। नीतीश के रीएक्शन से कांग्रेस में खलबली मच गई है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आईएनडीआईए का संयोजक बनाए जाने की चर्चा जोरों पर अचानक नहीं शुरू हुई हैं। इसके साथ कई कहानियां भी हैं। बिहार में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाए जाने की कहानी का तो नीतीश कुमार ने पटाक्षेप कर दिया। इसलिए तेजस्वी यादव द्वारा नीतीश कुमार को आईएनडीआईए का संयोजक बनाए जाने के प्रस्ताव का समर्थन करने के बाद बिहार सरकार में जदयू मंत्री मदन सहनी ने कहा कि नीतीश कुमार के अनुभव और काम को दखते हुए उन्हें तो पीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए। बिहार सरकार में मंत्री मदन सहनी ने कहा कि आईएनडीआईए में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सबसे अनुभवी नेता हैं। संयोजक के बदले अगर उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया जाए तो, केंद्र में इस गठबंधन की सरकार बन जाएगी। मदन सहनी ने कहा कि यह उनके अनुभव का ही परिणाम है कि सारे विपक्षी दल आज एकजुट हुए हैं। बिना संयोजक घोषित हुए नीतीश कुमार ने सभी विपक्षी दलों को एकजुट कर संयोजक की जिम्मेदारी निभा दी है। बिहार में हुए विकास कार्यों की वजह से देशभर में नीतीश कुमार की छवि विकास पुरुष की है, इसलिए देश की जनता भी चाहती है कि नीतीश कुमार देश का नेतृत्व करें।

आईएनडीआईए में सीट बंटवारे पर उन्होंने कहा कि इस गठबंधन का शीर्ष नेतृत्व सारी चीजों को देख रहा है। हमारे नेता नीतीश कुमार ने सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट किया है। देशभर की जनता का हमारे नेता के प्रति लगाव बढ़ रहा है। जदयू के प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए मदन सहनी ने हालांकि भाजपा पर आरोप भी जडे और कहा भाजपा धर्म को राजनीति का मुद्दा बनाकर जनभावनाओं को भड़का रही है। राम मंदिर बनना अच्छी बात है लेकिन उसको राजनीति का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। इसके बावजूद भाजपा और नीतीश कुमार को लेकर कांग्रेस सशंकित है।

दरअसल, दिल्ली में जेडीयू की राष्ट्रीय परिषद में सीएम नीतीश ने कांग्रेस से नाराजगी जताई थी। कांग्रेस पर नीतीश कुमार ने हमला बोला था। नीतीश कुमार ने दिल्ली में हुई जेडीयू की बैठक में कांग्रेस को निशाने पर लिया था। सीएम नीतीश ने कहा था कि कांग्रेस उनके द्वारा किए गए कार्यों की चर्चा नहीं करती है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि बीजेपी उनके काम को अपने काम में जोड़ लेती है। इससे पहले भी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान नीतीश कुमार ने कांग्रेस पर तंज किया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस का ध्यान इंडिया गठबंधन से ज्यादा विधानसभा चुनावों पर है। जेडीयू की बैठक में नीतीश कुमार का कांग्रेस पर हमला प्रेशर पॉलिटिक्स की तरह देखा गया था।

राजनीति के जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार को संयोजक बनाने के कई कारण हो सकते हैं। पहला यह कि उन्होंने विपक्षी नेताओं को एकजुट करने का काम किया। बीते साल में नीतीश कुमार ने देश के अलग-अलग राज्यों का दौरा किया था । इस दौरान उन्होंने विपक्षी नेताओं और मुख्यमंत्रियों से मुलाकात भी की थी। इस प्रकार नीतीश कुमार ने बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। दूसरा ये कि नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन के सूत्रधार के तौर पर देखा जाता है। उन्होंने विपक्ष को एक साथ चुनाव लड़ने का सुझाव दिया था। जून 2023 में 15 दलों को एक मंच पर नीतीश ही लाये थे। इसके बावजूद दिल्ली में इंडिया गठबंधन की बैठक में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पीएम फेस के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम आगे किया था। इसका समर्थन दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने किया था। सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद से नीतीश कुमार नाराज बताए जा रहे थे क्योंकि न तो उन्हें संयोजक बनाया गया और न ही पीएम का चेहरा घोषित किया गया। हालांकि, कई मौके पर नीतीश कुमार ने कहा कि वो कोई पद नहीं चाहते हैं।

अब जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे नीतीश कुमार को विपक्षी दलों के गठबंधन का संयोजक बनाने की बात कह रहे हैं तब बिहार सरकार में मंत्री मदन सहनी एक तरह से इस आफर को ठुकरा रहे हैं । मदन सहनी कहते हैं कि आईएनडीआईए में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सबसे अनुभवी नेता हैं। संयोजक के बदले अगर उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया जाए तो, केंद्र में इस गठबंधन की सरकार बन जाएगी। नीतीश कुमार के अनुभव के बारे में मदन सहनी ने कहा कि यह उनके अनुभव का ही परिणाम है कि सारे विपक्षी दल आज एकजुट हुए हैं। बिना संयोजक घोषित हुए नीतीश कुमार ने सभी विपक्षी दलों को एकजुट कर संयोजक की जिम्मेदारी निभा दी है। बिहार में हुए विकास कार्यों की वजह से देशभर में नीतीश कुमार की छवि विकास पुरुष की है, इसलिए देश की जनता भी चाहती है कि नीतीश कुमार देश का नेतृत्व करें। नीतीश कुमार की यह प्रेशर पॉलिटिक्स कितनी सफल होती है, यह देखने की बात होगी।
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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