Homeकारोबारपाक क्यों चाहता भारत से कारोबारी संबंधों की बहाली

पाक क्यों चाहता भारत से कारोबारी संबंधों की बहाली

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने अपने देश की रसातल में जा रही अर्थव्यवस्था की स्थिति पर विचार करने के लिए बीती 26 अप्रैल को अपने मुल्क के उद्योगपतियों से कराची में मुलाकात की। वहां सवाल-जवाब का लम्बा दौर भी चला। इस दौरान पाकिस्तान के चोटी के उद्योगपति और आऱिफ हबीब ग्रुप के चेयरमेन आरिफ हबीब ने शाहबाज शरीफ से पुरजोर गुजारिश की कि पाकिस्तान भारत के साथ अपने व्यापारिक संबंध तुरंत बहाल करें। 
पाकिस्तान के अंग्रेजी के मशहूर अखबार दि डॉन ने गुरुवार (25 अप्रैल, 2024) को इस खबर को प्रमुखता के साथ छापा भी है। उस वक्त वहां पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और देश के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के समधी इशाक डार भी मौजूद थे। डार के बेटे की शादी नवाज शरीफ की बेटी से हुई है। डार ने पिछले महीने ही कहा था कि उनका मुल्क भारत से व्यापारिक संबंध बहाल करना चाहता है।
उधर, भारत का मानना है कि व्यापार को द्विपक्षीय संबंधों के सामान्यीकरण के एक हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए। इसके लिए, पाकिस्तान को आतंकवाद पर लगाम लगाना होगा। वहां चल रही आतंकवाद की फैक्ट्रियों को तुरंत बंद करना होगा। भारत का यह भी मानना है कि आतंकवाद के मुद्दे पर ठोस कदम उठाए बिना व्यापार शुरू करना संभव नहीं है।
दरअसल पाकिस्तान के नेताओं की भारत के साथ व्यापार शुरू करने की इच्छा कोई नई बात नहीं है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट से जूझ रही है। यह सब जानते हैं। भारत के साथ व्यापार, विशेष रूप से चीनी और कपास जैसे उत्पादों का आयात बंद होना, पाकिस्तान के लिए महंगा पड़ रहा है। क्योंकि, उसे ये उत्पाद दुबई जैसे देशों से मंगवाने पड़ते हैं। पाकिस्तान के व्यापारिक समुदाय का मानना है कि भारत के साथ सीधा व्यापार आर्थिक विकास को गति दे सकता है। अफ़गानिस्तान और ईरान के साथ तनावपूर्ण संबंधों ने भी पाकिस्तान की आर्थिक समस्याओं को और बढ़ा दिया है। यह भी देखना होगा कि ईरान के नेता की हालिया इस्लामाबाद यात्रा से दोनों देश कितने करीब आते हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। व्यापार, राजनीतिक मुद्दों पर व्यापक और सार्थक चर्चा के लिए भी एक प्रारंभिक कदम हो सकता है।
हालांकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में जल्द ही सुधार की संभावना भी नहीं है, क्योंकि अभी तो भारत में लोकसभा चुनाव का दौर चल रहा है। इस बीच,  भारत को पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंधों की बहाली करने से कोई बहुत लाभ नहीं होगा। अगर दोनों पड़ोसियों में व्यापारिक संबंध स्थापित होते हैं, तो इससे पाकिस्तान को ही बड़ा लाभ होगा। पाकिस्तान के लिए कठमुल्लों पर लगाम लगाना कोई बच्चों का खेल नहीं है। आने वाले समय में दोनों देशों के नेताओं के बीच राजनीतिक इच्छाशक्ति और ठोस कदम ही इस गतिरोध को तोड़ सकते हैं। भारत की चिंता बहुत वाजिब है। भारत सरहद के उस पार से होने वाले आतंकवाद का भुक्तभोगी रहा है। इसलिए वह कोई भी कदम बहुत सोच-समझकर ही उठाएगा। 
अब पाकिस्तान लाख चाहें पर, पर भारत उससे व्यापारिक संबंधों को लेकर कतई उत्साहित नहीं है। पाकिस्तान ने ही भारत के साथ अपने आर्थिक संबंधों को खत्म कर लिया था जब नरेंद्र मोदी सरकार ने 2019 में जम्मू- कश्मीर से संविधान की धारा 370 को खत्म कर दिया था। तब से   पाकिस्तान के कुछ नेता कहते रहते हैं कि जब तक धारा 370 की बहाली नहीं होगी तब तक वह भारत से संबंध बहाल नहीं करेंगा। हालांकि अब जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की बहाली होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। इस बारे में सारा देश एक तरह से सोचता है। और, पकिस्तान हो या कोई अन्य विदेशी मुल्क, वहां की सरकार या अवाम को भारत के अंदरूनी मामलों में दखल को मोदी जी तो हरगिज बर्दास्त नहीं करेंगे। पहले की सरकारों की कमजोरी से ही अबतक ऐसा होता रहा है। 
पिछले दिनों पाकिस्तान में शाहबाज शरीफ की प्रधानमंत्री के रूप में ताजपोशी के बाद यह तय ही था कि वहां भारत से व्यापारिक संबंध शुरू करने की पहल चालू होगी। खराब आर्थिक नीतियो और सेना के भारी बजट के कारण  पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तार- तार हो चुकी है। वह  विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), सऊदी अरब, चीन वगैरह के आगे मदद की आस में हर वक्त कटोरा लेकर खड़ा रहता है। पाकिस्तान अपने निर्यात को भी बढ़ाना चाहता है। लेकिन आतंकवादी मुल्क से आयात करेगा कौन? विश्व बैंक ने 2018 में अनुमान लगाया था कि अगर पाकिस्तान का भारत के साथ व्यापार अपनी क्षमता तक पहुँच जाता है तो उसका निर्यात लगभग 25 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
पाकिस्तान में पूर्व भारतीय उच्चायुक्त और प्रसिद्ध पुस्तक “एंगर मैनेजमेंट: द ट्रबल्ड डिप्लोमैटिक रिलेशनशिप बिटवीन इंडिया एंड पाकिस्तान” के लेखक अजय बिसारिया कहते हैं: “अगर भारत-पाकिस्तान में तिजारती संबंध शुरू होते हैं तो पाकिस्तान के कपड़ा और फार्मास्युटिकल क्षेत्रों को तगड़ा लाभ होगा।” एक बात शीशे की तरह से साफ है कि सोशल मीडिया के इस दौर में पाकिस्तान का अवाम पड़ोसी भारत की जीवन के सभी क्षेत्रों में विकास की रफ्तार को बारीकी से देख रहा है। पाकिस्तान तो बिजली और आटे की किल्लत, बेरोजगारी और महंगाई की मार से त्राहि-त्राहि कर रहा है। इस पृष्ठभूमि में पाकिस्तानी नेतृत्व भारत के साथ कारोबारी संबंध स्थापित करने का ख्वाब देख रहा है। हां, यह तो मानना होगा कि चाहे नवाज शरीफ हों या फिर उनके अनुज और देश के मौजूदा प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ कारोबार के महत्व को तो अच्छी तरह समझते हैं। ये खुद भी कारोबारी हैं। शरीफ परिवार का स्टील बिजनेस है। इनकी कंपनी के भारत के प्रख्यात स्टील कारोबारी सज्जन जिंदल की कंपनी जिंदल साउथ-वेस्ट (जेएसडब्ल्यू) से कारोबारी संबंध रहे हैं। शरीफ  जानते हैं कि अब दुनिया युद्ध के रास्ते पर नहीं चल सकती है, क्योंकि; युद्ध विनाश का पर्यायवाची है। उनके सामने भारत-चीन का शानदार उदाहरण है। ये दोनों दिग्गज एशियाई मुल्क अपने जटिल सीमा विवाद को सुलझाने की चेष्टा करते हुए भी आपसी व्यापार को आगे लेकर जा रहे हैं। वर्तमान में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब रुपये के आसपास पहुंच रहा है। पाकिस्तान की भारत के साथ तिजारत की चाहत पूरी हो सकती है, अगर वह आतंकियों की गोद से मुक्त होकर भारत की चिंताओं का समाधान करे।

आर.के. सिन्हा
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

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