Homeदुनियाचिंतनीय है जवानों में बढ़ती कुंठा

चिंतनीय है जवानों में बढ़ती कुंठा

हाल ही में आई एक रिपोर्ट बहुत चैंकाने वाली है इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते पांच सालों 2018 से 2022 तक 53, 336 सेंट्रल आम्र्ड पुलिस फोर्स केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने नौकरी छोड़ दी है। इसमें 47,000 सैनिकों ने मर्जी से रिटायरमेंट लिया है। वहीं, 6,336 जवानों ने इस्तीफा दिया है।
देश के सुरक्षा बल के जवानों में भर्ती होने के बाद अवसाद व कुंठा क्यों पैदा हो रही है? क्या वजह है कि सुरक्षा बलों के लिए भर्ती होने के लिए कड़ी मेहनत व तैयारी कर तमाम मुसीबतें झेल कर भर्ती हुए जवान बड़ी तादाद में नौकरी छोड़ रहे हैं? वहीं सैकड़ों की संख्या में हर साल सुसाइड क्यों कर रहे हैं? युवाओं का सेना से मोह भंग होता जा रहा है और वे इस क्षेत्र में करियर के लिए उतने उत्सुक नहीं हैं, जितने पहले हुआ करते थे। पिछले कुछ समय में यह देखने में आया है कि युवा सेना की नौकरी से तय समय से पहले ही रिटायर होने का विकल्प चुन रहे हैं।

आखिर ऐसे कौन से कारण हैं जिनकी वजह से युवाओं को सेना में नौकरी करना रास नहीं आ रहा है? पिछले साल 10 हजार से भी अधिक जवानों ने सेना से समय से पूर्व रिटायर होने का विकल्प चुना। एक तरफ जहां देश में बेरोजगारी का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं सेना में शामिल ये युवा ऐसा कदम क्यों उठा रहे हैं? जबकि सरकार की अग्निवीर योजना आने पर तमाम सवाल उठाए गए और शार्ट टर्म सेवा को लेकर जमकर विरोध किया गया था इसके विपरीत सुरक्षाबलों में तैनात कर्मी समय से पहले रिटायरमेंट क्यों ले रहे हैं? ये ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब भारतीय सेना सहित विशेषज्ञ करियर काउंसलर भी तलाश कर रहे हैं।

जवानों के भारी संख्या में सेना की नौकरी छोड़ने की एक वजह अपने अधिकारियों से बढ़ती खटास को माना जा रहा है। पिछले दिनों लद्दाख और सांबा में अधिकारियों और जवानों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था। समय-समय पर जवानों के साथ अमानवीय व्यवहार की खबरें आती रही हैं।

ऐसा भी देखा गया है कि कई युवा अपने परिवार की परंपरा को निभाने या पारिवारिक दबाव के कारण सेना में भर्ती हो जाते हैं, लेकिन वास्तव में उनकी रुचि किसी और क्षेत्र में होती है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट बहुत चैंकाने वाली है इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते पांच सालों 2018 से 2022 तक 53, 336 सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने नौकरी छोड़ दी है। इसमें 47,000 सैनिकों ने मर्जी से रिटायरमेंट लिया है। वहीं, 6,336 जवानों ने इस्तीफा दिया है। वहीं, 658 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने आत्महत्या कर ली। इस रिपोर्ट का आधार केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लोकसभा में इस बाबत दी गई जानकारी है ।

संसद में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि साल 2018 में 10,940 जवानों ने, 2019 में 10,323, 2020 में 7,690, 2021 में 12,003 और 12,380 जवानों ने नौकरी छोड़ दी। उन्होंने यह जानकारी कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर के लिखित सवाल के जवाब में दी।आंकड़ों के मुताबिक, सीमा सुरक्षा बल के 23,553 जवानों ने नौकरी छोड़ी, जिसमें 21,692 ने रिटायरमेंट लिया और 1861 ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स के 13,640 जवानों ने नौकरी छोड़ दी। जिसमें 13,027 में अपनी मर्जी से रिटायरमेंट लिया और 613 ने इस्तीफा दे दिया। असम राइफल्स से 5,393 ने सर्विस छोड़ दी। 5,313 ने रिटायरमेंट लिया और 80 जवानों ने इस्तीफा दे दिया।

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के 5,151 जवानों ने नौकरी छोड़ी। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के 2,868 जवानों ने रिटायरमेंट लिया और 2,283 ने इस्तीफा दे दिया। आंकड़ों के मुताबिक, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस से 3,165 जवानों ने सेवा छोड़ दी। इनमें से 2,354 ऐच्छिक अवकाश ले लिया और 811 ने इस्तीफा दे दिया। जबकि सशस्त्र सीमा बल के 2,434 जवानों ने सेवा छोड़ दी, इनमें 1,746 ने स्वेच्छा से रिटायरमेंट लिया और 688 ने इस्तीफा दे दिया।

आपको बता दें कि सुरक्षा बलों से नौकरी छोड़ने के आंकड़े हर साल बढ़ रहे हैं। 2022 में 11,211 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल जवानों ने रिटायरमेंट लिया और 1,169 ने इस्तीफा दे दिया। 2021 में 10,762 जवानों ने ऐच्छिक अवकाश ले लिया और 1241 ने इस्तीफा दे दिया। 2020 में 6,891 जवानों ने मर्जी से रिटायरमेंट लिया और 799 ने सेवा से इस्तीफा दे दिया। 2019 में 8,908 जवानों ने मर्जी से रिटायरमेंट ले लिया और 1,415 ने इस्तीफा दे दिया। 2018 में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के 9,228 जवानों ने रिटायरमेंट ले लिया और 1,712 जवानों ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया।

पांच सालों में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के 230 जवानों ने जान दी। वहीं पांच साल में सुसाइड करने वाले 658 जवानों में से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 230 जवान, सीमा सुरक्षा बल के 174, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के 91, एसएसबी के 65, भारत तिब्बत सीमा बल के 51 और असम राइफल्स के 47 जवान थे। आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में 136, 2021 में 155, 2020 में 142, 2019 में 129 और 2018 में 96 जवानों ने सुसाइड की है।

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि स्थिति को देखते हुए सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स और असम राइफल्स के जवानों को पोस्टिंग और छुट्टी की प्रक्रिया को पारदर्शी किया गया है। जोखिम भरे क्षेत्र में पोस्टिंग के बाद उन्हें मनपसंद पोस्टिंग देने पर भी विचार किया जाता है। ड्यूटी के दौरान चोट लगने की वजह से अस्पताल में भर्ती होने पर जवानों को ड्यूटी पर ही माना जाता है।

यह आंकड़े बताते हैं कि भारतीय सुरक्षा बलों में सब कुछ सुकून भरा सामान्य नहीं है। कहीं न कहीं सुरक्षा बलों में भर्ती होने के बाद जवानों को उचित माहौल व काम का अवसर नहीं मिल रहा है जिस कारण उनमें न सिर्फ सेवा को ऐच्छिक तौर पर त्याग देने का चलन बढ़ा है, वहीं अवसाद के भी शिकार हो रहे हैं और बड़ी संख्या में आत्महत्या का कदम भी उठा रहे हैं। इतना ही नहीं कई बार छोटी सी बात पर आक्रोशित होकर इतना आक्रामक हो जाते है कि अपने सहकर्मियों पर हमला करने फायरिंग करने की वारदातों को भी अंजाम दे रहे हैं।
हमारे सुरक्षा बलों के जवान हमारी अस्मिता के रक्षक हैं जो युवक देश की सुरक्षा की खातिर अपनी सेवाएं देने के लिए देश भक्ति और निष्ठा के भाव से देश के सुरक्षा बलों का करियर चुनते हैं क्या वजह है कि वह जल्द ही सेवा छोड़ कर अवकाश ले रहे हैं? और कभी आत्महंता हो कर जान दे रहे हैं! साफ है कि कहीं न कहीं सुरक्षा बलों के बीच माहौल खुशनुमा नहीं है उच्च स्तरीय अधिकारियों के भ्रष्टाचार के चलते सुरक्षा बलों के जवानों के लिए दी जाने वाली सुविधाएं और व्यवस्थाएं उस मानक पर जवानों के हिस्से में नहीं पहुंच पाती है जिस का मानक निर्धारित है। आप को याद होगा पिछले वर्ष जवानों ने पानी वाली दाल और अधकची रोटियों की विडियो वायरल कर अपनी हालत व्यक्त करने का प्रयास किया था लेकिन अधिकांश मामलों में आला अधिकारी अनुशासन के नाम पर जवानों की जायज शिकायतों को भी नजरअंदाज कर देते हैं और आवाज उठाने की हिम्मत करने वाले जवानों को पनिशमेंट देते हैं।परिवार के सदस्यों की बीमारी व शादी के समय पर भी छुट्टी नहीं देने के कारण भी जवान बेहद दबाव और अवसाद में आ जाते हैं समय की मांग है कि जवानों के साथ अधिकारी अपने परम्परागत रवैये को बदलें और मानवीय पहलू को अपनाएं ताकि जवान सुरक्षा बल में शामिल होकर किसी गुलाम की मानसिकता में नहीं वरन सम्मानित देश सेवा कर्मी के भाव से काम करने का माहौल बने। जवानों को समय पर अवकाश उनके मनोरंजन के लिए आधुनिक सुविधाओं को उपलब्ध कराना उनके मनोबल को बढ़ाने के लिए जरूरी है वहीं और उनके लिए उपलब्ध कराए जाने वाली सुविधाओं भोजन व अन्य सामग्री आदि में भ्रष्टाचार का खात्मा करने के लिए समय समय पर जांच की जरूरत है ताकि राष्ट्रसेवा के भाव से अपने जीवन को दाव पर लगाने आए जवान बीच रास्ते में पथ छोड़कर वापसी की राह न चुनें।
(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!
Exit mobile version