Homeकविता"राष्ट्र धर्म बचाना होगा"

“राष्ट्र धर्म बचाना होगा”

राष्ट्र बचाना है तो पहले,
राष्ट्र धर्म बचाना होगा!
हर एक सनातनी को,
अपना कर्ज चुकाना होगा!!


ऋषि – मुनियों ने शास्त्रों से,
कुछ नीतियाँ बताईं थी!
‘वीर भोग्य वसुंधरा’ की बातें,
दुनिया को सिखाई थी!!


गीदड़ के झुंड देख कर,
पीछे नहीं हटेंगे!
सदियों से जो दर्द सहा है,
उससे अब निपटेंगे!!

 राष्ट्र धर्म के आगे आखिर,
 कोई धर्म ना होता है! 
 विपदा में भी योद्धा अक्सर, 
 धूर्तों को चित कर देता है!! 

एक बीमारी फैली थी,
जो धर्म बदलवाने की!
विश्व गुरु भारत की,
हर पहचान मिटाने की!!

 उन कायर जनता के, 
 साज़िश को विफल बनाना है!             
महाराणा और वीर शिवाजी सा, 
 महाबली बन जाना है!

महाबली बप्पा रावल ने,
जब तलवार उठाई थी!
सदियों तक यवनों की,
आँखे खौफ में समाई थी!!

 बांग्लादेश धधक रहा है, 
 जिहाद की चीत्कार से! 
 मासूमों पर जुल्म हो रहा, 
 भीषण अत्याचार से!!

आग पड़ोस में लगी हुई है,
अपना घर भी झुलसेगा!
आत्मरक्षा की तैयारी से,
हर एक मुद्दा सुलझेगा!!

विजय! ललकार दिखाना होगा,
भारत को समर्थ बनाना होगा!
राष्ट्र बचाना है तो पहले,
राष्ट्र धर्म बचाना होगा!!

विजय सिंह
बलिया (उत्तर प्रदेश)

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