तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में दशलक्षण महामहोत्सव के तृतीय दिवस- उत्तम आर्जव धर्म पर प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन शास्त्री के सानिध्य में हुए देवशास्त्र गुरु पूजन, समुच्चय चौबीसी पूजन, सोलहकारण पूजन, पंचमेरु पूजन और दशलक्षण पूजन
मुरादाबाद। पर्वाधिराज दशलक्षण महामहोत्सव के उत्तम आर्जव पर तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में स्टुडेंट्स की ओर से रिद्धि-सिद्धि भवन में दिव्यघोष के साथ भक्तिमय संगीत से आरती पंच परमेष्ठी और शांतिनाथ भगवान की आरती की गई। दशलक्षण महामहोत्सव के तृतीय दिवस- उत्तम आर्जव धर्म पर प्रतिष्ठाचार्य ऋषभ जैन शास्त्री के सानिध्य में हुए देवशास्त्र गुरु पूजन, समुच्चय चौबीसी पूजन, सोलहकारण पूजन, पंचमेरु पूजन और दशलक्षण पूजन विधि-विधान से हुए। स्टुडेंट्स रश्मि और सजल जैन ने भक्तांबर स्त्रोत का पाठ किया गया। उत्तम आर्जव पर कुलाधिपति सुरेश जैन, श्रीमती वीणा जैन, जीवीसी मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अक्षत जैन, वीसी प्रो. वीके जैन, श्रीमती करुणा जैन आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही। भोपाल से आई सिद्धार्थ जैन एंड पार्टी की ओर से प्रस्तुत सुरमय भजनों जैसे-रंगमा रंगमा…, विद्यासागर नाम जपो रे सुबह शाम रे…, यह अवसर बार-बार न आवे…, पावन हो गयी आत्मा आज मिले है प्रमाताम… आदि पर रिद्धि-सिद्धि भवन श्रीजी की भक्ति में झूम उठा। प्रथम स्वर्ण कलश से रोहन सराफ, द्वितीय स्वर्ण कलश से अनुष जैन, तृतीय स्वर्ण कलश से ऋषभ जैन और चतुर्थ स्वर्ण कलश से जयंत चौपडा को अभिषेक करने का सौभाग्य मिला। प्रथम शांति धारा का सौभाग्य- आगम जैन, प्रांशु जैन, अनमोल जैन, वैभव जैन, रवि जैन, पीयूष जैन, आशीष जैन, चरित्र जैन और द्वितीय शांति धारा का सौभाग्य- प्रयास जैन, शुभम जैन, सार्थक जैन, अभिषेक जैन, कुशाग्र पाटनी, मोहित जैन, आर्यन जैन, सक्षम जैन, ऋषि जैन, आदर्श जैन को मिला। श्रावक दक्ष जैन ने तत्वार्थ सूत्र का वाचन किया।
शिखरजी से आए प्रतिष्ठाचार्य ऋषभ जैन शास्त्री जी ने उत्तम आर्जव पर बताया, जीवन में गांठे होगी तो जीवन सरल नहीं हो सकता है। इसीलिए जीवन में मुलायम बनाना आवश्यक है। संसार में पांच इंद्री जीव है, लेकिन एक एक इंद्री जीव का अपना महत्व हैं। जीवन मे विनम्रता न हो तो जीवन बेकार है। अतः जीवन मे विनम्रता लाइए, जिससे जीवन सरल और अह्नकार मुक्त हो सके। उत्तम मार्दव की संध्या पर डेंटल कॉलेज के छात्र-छात्राओं की ओर से ण्मोकार मंत्र से भक्तामर जी तक का मंचन किया गया। जिनालय से श्रीजी की आरती रिद्धि-सिद्धि भवन तक ले जाने का सौभाग्य डेंटल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. प्रदीप तांगडे को मिला। बीडीएस सेकेंड ईयर के छात्र-छात्राओं ने पंचकल्याणक पर आकर्षक नृत्य पेश करके सभी का दिल जीत लिया। बीडीएस थर्ड ईयर के स्टुडेंट्स ने शिरोमणि 108 विद्यासागर जी महाराज को भावपूर्ण श्रद्धांजली दी, जिस पर सभी की आंखे विद्यासागर जी को याद करके नम हो गई। बीडीएस के छात्र-छात्राओं ने रक्षाबंधन की कथा, अक्षय तृतीया की कथा, पार्श्वनाथ भगवान पर उपसर्ग और समोशरण को बहुत ही अनूठे रुप से प्रस्तुत किया। छात्राओं कृष्णकी और दिव्या ने अपनी मधुर आवाज से ऑडी में भक्ति की बयार बहा दी। छात्र-छात्राओं ने भक्तांबर स्रोत की रचना एक नाटिका द्वारा प्रस्तुत की। ऑडी में भक्तांवर स्त्रोत गूंज उठा। छात्र अपूर्व जैन ने मंगलाचरण किया। इससे पहले डेंटल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. प्रदीप तांगडे, वाइस प्रिंसिपल डॉ. अंकिता जैन, डॉ. शिल्पी और डॉ. अनुष्का जैन ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। अंत में सभी प्रतिभागियों को कुलाधिपति सुरेश जैन, जीवीसी अक्षत जैन, वीसी प्रो. वीके जैन, श्रीमती ऋचा जैन, प्रो. प्रदीप तांगडे, मनोज जैन आदि ने उपहार और प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया। महोत्सव में ब्रहमचारिणी दीदी डॉ. कल्पना जैन, विपिन जैन, डॉ. रवि जैन, डॉ. विनोद जैन, डॉ. एसके जैन, आदित्य जैन, डॉ. अक्षय जैन, रत्नेश जैन, श्रीमती अहिंसा जैन, श्रीमती शालिनी जैन, श्रीमती ऋतु जैन, डॉ. विनीता जैन, श्रीमती आरती जैन आदि उपस्थित रहे।