भव्यता, दिव्यता और नव्यता के बीच तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने योग शिरोमणि श्रीश्री रविशंकर को डी.लिट की मानद उपाधि से किया अलंकृत, जीवीसी श्री मनीष जैन ने शाल ओढ़ाकर तो ईडी श्री अक्षत जैन ने श्रीफल देकर किया सम्मानित, जैसा अन्न, वैसा मन को कोट करते हुए श्रीश्री रविशंकर बोले, तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में सुंदर व्यक्तित्व का निर्माण, कुलाधिपति ने सुदर्शन क्रिया के महत्वपूर्ण अंग सो हम का हजारों-हजार छात्रों से करवाया लयबद्ध उच्चारण, टीएमयू के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर ने अपने ओजस्वी संबोधन से श्रीश्री रविशंकर समेत जीत लिया सभी अतिथियों का दिल
मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में आर्ट ऑफ लिविंग के फाउंडर एवम् दुनिया के नामचीन आध्यात्मिक गुरू श्रीश्री रविशंकर की उपस्थिति अविस्मरणीय रहेगी। भव्यता, दिव्यता और नव्यता के बीच योग शिरोमणि श्रीश्री रविशंकर को टीएमयू की ओर से डी.लिट की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया। श्रीश्री ने अपने आशीर्वचन में कहा, यह जानकर प्रफुल्लित हूं, टीएमयू जमीं से अंतरिक्ष तक युवान के सपनों में रंग भर रही है। जैसा अन्न, वैसा मन को कोट करते हुए बोले, यूनिवर्सिटी में सुंदर व्यक्तित्व का निर्माण हो रहा है। साथ ही गुरूदेव ने चेताया, दुनिया में अगला युद्ध पानी को लेकर होगा, इसीलिए यूनिवर्सिटी अपने जल संरक्षण कैंपेन की अलख पूरे देश में जगाए। मुझे पता चला है, यूनिवर्सिटी में जल की एक बूंद भी व्यर्थ नहीं जाती है। यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने जैसे ही श्रीश्री रविशंकर को डी.लिट की उपाधि से अलंकृत किया तो जय गुरूदेव और तालियों की गड़गड़ाहट से यह विशाल पंडाल गुंजायमान हो उठा। इससे पूर्व कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने विशेष दीक्षांत समारोह के प्रारम्भ होने की घोषणा की। पूरे कार्यक्रम में कुलाधिपति जोश से लबरेज नजर आए। बार-बार हजारों-हजार स्टुडेंट्स और वालिंटियर्स से जय गुरूदेव के जयकारे लगवाए। समारोह के दौरान उन्होंने सुदर्शन क्रिया के महत्वपूर्ण अंग सो हम का छात्रों से लयबद्ध उच्चारण करवाया। सम्मान के तौर पर जीवीसी श्री मनीष जैन ने श्रीश्री को शाल ओढाया, जबकि एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन ने रजत श्रीफल भेंट किया। गुरूदेव को कॉलेज ऑफ फाइन आर्टस की ओर से बताई तैलीय चित्र भी उपहार स्वरूप दिया गया। दिव्यघोष के बीच जैसे ही एकेडमिक प्रोसेशन का पंडाल में मंगल प्रवेश हुआ तो विशिष्ट अतिथियों, आर्ट ऑफ लिविंग के फॉलोअर्स के संग-संग टीएमयू के 15 हजार से अधिक स्टुडेंट्स ने गुरूदेव को स्टैंडिंग ऑवेशन दिया तो गुरूदेव ने अपने दोनों ओर खड़े हजारों-हजार युवाओं को बतौर गुलाब की पंखुडियां रिटर्न गिफ्ट दिया। प्रोसेशन में कुलाधिपति श्री सुरेश जैन के संग जीवीसी श्री मनीष जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन, वीसी प्रो. वीके जैन, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन के अलावा निदेशक, प्राचार्य आदि की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। विशेष दीक्षांत समारोह में एमएलसी डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त, एमएलसी डॉ. हरि सिंह ढिल्लो, मेयर विनोद अग्रवाल, अनिल जैन आदि की गरिमामयी उपस्थिति रही। राष्ट्रगान के साथ विशेष दीक्षांत समारोह का समापन हुआ। समारोह में फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, डायरेक्टर एडमिन श्री अभिषेक कपूर की भी उल्लेखनीय उपस्थिति रही। संचालन डॉ. माधव शर्मा ने किया।
वैश्विक शांतिदूत श्रीश्री रविशंकर ने सारगर्भित संबोधन का शंखनाद मंत्रोच्चारण से किया। श्रीश्री बोले, विश्वविद्यालय केवल सूचनाओं के आदान-प्रदान और डिग्री का ही प्लेटफॉर्म नहीं है, बल्कि सुंदर व्यक्तित्व के निर्माण का मुख्य केन्द्र है। मैंने टीएमयू कैंपस में आकर अनुभव किया, यहां सुंदर व्यक्तित्व का निर्माण हो रहा है। यही शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य भी है। श्रीश्री रविशंकर हंसकर बोले, आपने तो मुझे एक दिन में ही अपना एल्युमिनाई बना दिया है। छात्रों को इंगित करते हुए बोले, अब आप और हम टीएमयू के ही हो गए हैं। उन्होंने युवाओं से सवाल किया, आपमें कौन शरारती है और कौन शरारती नहीं है? युवाओं को शरारती होना भी चाहिए, लेकिन शरारत से किसी को कष्ट नहीं होना चाहिए। संस्कृति और संस्कार पर गुरूदेव बोले, यह मेरा सौभाग्य है, मैं पर्युषण पर्व पर आपके बीच में हूं। यह आपके आहार और व्यवहार से साफ स्पष्ट हो रहा है। गुरूदेव ने मुस्कान को जीवन का अभिन्न अंग बताते हुए कहा, हमेशा मुस्कुराते रहिए। हार्वर्ड की रिसर्च बताती है, बच्चा एक दिन में 400 बार मुस्कुराता है। जब वह कॉलेज में होता है तो एक दिन में 17 बार मुस्कुराता है, लेकिन जब डिग्री प्राप्त कर लेता है तो उसकी मुस्कान खत्म हो जाती है। उन्होंने रोजगारपरक उच्च शिक्षा की वकालत की। साथ ही श्रीश्री ने छात्रों के एक बड़े समूह से पूछा, क्या आप नर्सिंग के स्टुडेंट्स है? बोले, नर्सिंग और एग्रीकल्चर के स्टुडेंट्स के लिए वैश्विक स्तर पर करियर की अपार संभावनाएं आपका इंतजार कर रही हैैं। उन्होंने एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन को हमारा बेटा कहकर संबोधित करते हुए डी.लिट की मानद उपाधि के लिए टीएमयू के आला प्रबंधन का आभार जताया। श्रीश्री ने आशीर्वाद देते हुए कहा, यूनिवर्सिटी नई बुलंदियों को छुए। अंत में ओम शांति के दो बार उच्चारण के बाद अपनी वाणी को विराम दिया। इससे पूर्व वीसी प्रो. वीके जैन ने यूनिवर्सिटी की बड़ी उपलब्धियां बताते हुए, नैक ग्रेड, पेटेंट, एनआईआरएफ रैंकिंग, 12बी की मान्यता, स्टार्टअप्स पर विस्तार से प्रकाश डाला। साथ ही बोले, स्टार्ट अप के लिए टीएमयू एक करोड़ तक की वित्तीय सहायता कर रहा है। रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा ने प्रशस्ति पत्र वाचा।
टीएमयू के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अक्षत जैन ने अपने ओजस्वी संबोधन से श्रीश्री रविशंकर समेत सभी अतिथियों का दिल जीत लिया। बोले, मेरे व्यक्तित्व निर्माण में मेरे परिजनों और गुरूओं के संग-संग गुरूदेव की भी बड़ी भूमिका है। स्टडी के लिए मैं 15 बरस देश-विदेश में रहा हूं। मैंने यह महसूस किया है, विदेश में भी भारतीय संस्कृति जीवंत है। ऐसे में अपनी परम्परा को अपने देश और युवाओं के बीच में लाकर हम केवल अपने दायित्वों का निर्वाहन कर रहे हैं। जैन बोले, गुरूदेव से सुदर्शन क्रिया सीखना हमारे लिए परम सौभाग्य की बात है। सुदर्शन क्रिया ही वास्तविक सुख की परिभाषा है। गुरूदेव की टीएमयू कैंपस में उपस्थिति से गदगद श्री जैन बोले, गुरूदेव ने भारत की प्राचीन वैदिक परम्परा और ज्ञान को विश्व पटल तक पहुंचाया है। अंत में जय जिनेन्द्र, जय गुरूदेव और जय हिंद के उदघोष साथ उन्होंने इस विशेष दीक्षांत समारोह की सफलता के लिए श्रीमती रितु नारंग और श्री अजय नारंग का आभार व्यक्त किया। अपना स्थान ग्रहण करने से पहले अक्षत जैन ने श्रीश्री रविशंकर के चरणस्पर्श करके उनका आशीर्वाद भी लिया।
श्रीश्री गुरूदेव के मंचासीन होने से पूर्व गीत-संगीत और योग का मंच सजा। आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़े जानेमाने संगीतकार साकेत कक्कड़ एंड टीम ने एक दर्जन से अधिक भक्तिमय, अध्यात्ममय और योगमय गीतों की बारी-बारी से प्रस्तुति दी। बीच-बीच में मुरादाबाद की योग गुरू श्रीमती रितु नारंग ने भी योग के तमाम स्टेप बताए। इसके बाद भजनों पर आर्ट ऑफ लिविंग के वालिंटियर्स ने जमकर भक्ति नृत्य किया। समारोह के दौरान श्रीश्री के जीवनवृत को भी दिखाया गया। एकेडमिक प्रोसेशन में प्रो. एनके सिंह, प्रो. प्रीथपाल सिंह मटरेजा, प्रो. एसके जैन, प्रो. एमपी, प्रो. आरके द्विवेदी, डॉ. ज्योति पुरी, मनोज जैन, सिंह, अजय गर्ग, प्रो. रश्मि मेहरोत्रा, प्रो. नवनीत कुमार, प्रो. विपिन जैन, डॉ. शिवानी एम. कौल, प्रो. एसपी सुभाषिनी, प्रो. जसलीन एम., रविन्द्र देव, डॉ. पीयूष मित्तल, प्रो. रामनिवास आदि शामिल रहे।