कर्मचारियों की मांग- ओपीएस रिस्टोर हो
लखनऊ। केंद्रीय कर्मचारी संगठनों की प्रधानमंत्री के साथ बैठक काफी चर्चा में थी। सभी संगठनों को ओपीएस पर बड़ा फैसला आने की उम्मीद थी। लेकिन सरकार ने फिर से निराश किया है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने सरकार की पेंशन योजना यूपीएस पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए अवगत कराया है कि सरकार की यूपीएस योजना ओपीएस की बराबरी नहीं कर सकती।
उन्होंने कहा है कि यह पहले ही से तय था कि सरकार एनपीएस में सुधार करेगी और अंतिम वेतन आहरण का 50% पेंशन के रूप में देगी। यूपीएस में सरकार ने यही किया है। यूनिफाइड पेंशन स्कीम के अंतर्गत 25 साल की सेवा जरूरी की गई है जबकि ओपीएस के अंतर्गत 20 साल में कर्मचारी पूरी पेंशन का हकदार हो जाता है। यूनिफाइड पेंशन स्कीम पुरानी पेंशन का विकल्प नहीं हो सकती है। इसमें ग्रेच्युटी के बारे में कोई जिक्र नहीं है। इसके अलावा रिटायरमेंट के समय छुट्टियों के नकदीकरण की भी कोई व्यवस्था नहीं है। महंगाई भत्ते का रिवीजन भी यूपीएस में नहीं होगा। यूपीएस सिर्फ ओपीएस की मांग करने वालों के लिए आंसू पोछने जैसी है। सरकार को यूपीएस और एनपीएस में विकल्प खोलने के बजाय ओपीएस में विकल्प खोलने पर विचार करना चाहिए ।